उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुके मनु का जज्बा छत्तीसगढ़ी फिल्मों को लेकर आज भी बरकरार है। वे कहते हैं कि यदि कोई फाइनेंसर मिल जाए तो वे जरूर काम करना चाहेंगे। मनु का आसामी फिल्म ओ शेनाय, हरियाणवी फिल्म चंदो, सिंधी फिल्म हल ता भजीहलू, हिंदी मिंया बीबी राजी (1959), प्यार की प्यास (1961), जिंदा दिल (1974), जीते हैं शान से (1987) सहित कई फिल्मों में योगदान रहा है।