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जानिए वास्तुशास्त्र में द्वार वेध का क्या है महत्व

क्या आप वास्तु-शास्त्र में रूचि रखते हैं? क्या आप वास्तु शास्त्र सीखना चाहते हैं ?.क्या आप वास्तु सलाहकार हैं...

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Surya Pratap Goutam

Dec 12, 2016

Vastu

Vastu

पं देवनारायन शर्मा/रायपुर.
क्या आप वास्तु-शास्त्र में रूचि रखते हैं? क्या आप वास्तु शास्त्र सीखना चाहते हैं ?.क्या आप वास्तु सलाहकार हैं ,क्या इस मंच के माध्यम से वास्तु की जानकारी देना चाहते हैं? तो आज हम आपको बताने जा रहे है कि द्वार वेध क्या कहलाता है और इसका आपके परिवार, घर और जीवन पर क्या असर पड़ता है।




-मुख्य प्रवेश द्वार से प्रकाश व वायु को रोकने वाली किसी भी प्रतिरोध को द्वारवेध कहा जाता है


-अर्थात् मुख्य द्वार के ठीक सामने बिजली, टेलिफोन का खम्भा, वृक्ष, पानी की टंकी, मंदिर, कुआँ आदि को द्वारवेध कहते हैं।


-जब कभी भी इस तरह का अवरोध आ जाये तो स्वत: ही इसके निराकरण की ओर ध्यान जाता है


-भवन की ऊँचाई से दो गुनी या अधिक दूरी पर होने वाले प्रतिरोध द्वारवेध नहीं होते हैं। द्वारवेध निम्न भागों में वर्गीकृत किये जा सकते हैं-


-स्तंभ वेध: मुख्य द्वार के सामने टेलिफोन, बिजली का खम्भा, डी.पी. आदि होने से रहवासियों के मध्य विचारों में भिन्नता व मतभेद रहता है, जो उनके विकास में बाधक बनता है।


-स्वरवेध: द्वार के खुलने बंद होने में आने वाली चरमराती ध्वनि स्वरवेध कहलाती है जिसके कारण आकस्मिक अप्रिय घटनाओं को प्रोत्साहन मिलता है।

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