
रायपुर। जमीन व फ्लैट की रजिस्ट्री (Registry ) अब सिर्फ पांच मिनट में हो जाएगी। इसके लिए राज्य में नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (National Generic Document Registration System in the state) (एनजीडीआरएस) की शुरुआत की जा रही है। पूरे प्रदेश में यह सिस्टम लागू होने के बाद किसी भी जिले की जमीन की रजिस्ट्री किसी भी पंजीयन कार्यालय से कराई जा सकेगी।
इसके साथ ही जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री आसान हो जाएगी। इसके अलावा रजिस्ट्री की कॉपी भी उसी दिन पक्षकारों को मिल जाएगी। अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंगलवार को धमतरी के पंजीयन कार्यालय से इसकी शुरुआत की जा रही है। इससे पहले प्रदेश में बीटीओ सिस्टम से पंजीयन किया जाता था, जिसमें 15 से 20 मिनट का समय लगता था। एजेंसी नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनजीडीआरएस) के सहयोग से एक नया सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। झारखंड, पंजाब, गोवा व सिक्किम के बाद छत्तीसगढ़ पांचवा ऐसा राज्य होगा जहां इस सिस्टम को शुरू किया जा रहा है।
रूकेगा फर्जीवाड़ा
एनजीडीआरएस (National Generic Document Registration System in the state) लागू होने से एक ही जमीन को दो या दो से अधिक लोगों को बेचने के फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी। सरकारी और विवाद की जानकारी भी सिस्टम में अपलोड रहेगी। इन जमीनों को अगर फर्जी तरीके से कोई बेचना चाहेगा तो सिस्टम में ही पता चल जाएगा। किसी जमीन को खरीदने से पहले उसका मौजा, रकबा व प्लाट नंबर से उस जमीन की स्थिति के बारे में जानकारी भी इस सिस्टम से ली जा सकेगी। जमीन के संबंध में अगर कोई विवाद होगा तो भी सिस्टम में पता चल जाएगा।
पारदर्शी होगा सिस्टम
एनजीडीआरएस लागू होने से सात मिनट में जमीन व फ्लैट की रजिस्ट्री हो सकेगी। वर्तमान में 45 मिनट तक रजिस्ट्री की प्रक्रिया होती है। एनआईसी के द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर के लागू होने से निबंधन की प्रक्रिया और पारदर्शी होगी।
अब डाटा क्रैश नहीं होगा
जल्द ही राजधानी समेत राज्य भर में यह सिस्टम लागू हो जाएगा। इसके बाद लिंक स्लो व डाटा क्रैश जैसी समस्याएं खत्म होंगी। एनआईसी पुणे की इस परियोजना के तहत देशभर के सभी रजिस्ट्री कार्यालयों के लिए अलग पोर्टल होगा। एक क्लिक में लोग जमीन से संबंधित जानकारी मिल पाएगी।
तैयार किया जा रहा डाटा
एनजीडीआरएस लागू करने से पूर्व जिलों के प्रत्येक गांव को एक यूनिक कोड नंबर दिया जा रहा है। इसके माध्यम से गांव की पहचान होगी। जमीन का डाटाबेस तैयार हो रहा है, जिसके बाद जमीन की डाटा इंट्री की जाएगी। आधार कार्ड के माध्यम से ही सारा कामकाज हो रहा है। एनआईसी के सहयोग से विभाग ने सभी जमीन का डेटा तैयार कर लिया है।
भूमाफिया पर लगेगी लगाम
एनजीडीआरएस सिस्टम के बाद भूमाफियाओं पर पूरी तरह लगाम लग सकेगी। प्रतिबंधित जमीन की रजिस्ट्री अब किसी भी हाल में संभव नहीं हो सकेगी, क्योंकि हर तरह के जमीन का पूरा ब्योरा मौजूद रहेगा। जैसे ही भूमाफिया इन जमीनों के रजिस्ट्री कराने की पहल करेंगे तो सॉफ्टवेयर उसे स्वीकार नहीं करेगा।
एनजीडीआरएस के फायदे
- एक रजिस्ट्री करवाने में सात से 10 मिनट लगेंगे। औसतन 20 से 25 मिनट समय बचेगा।
- निबंधन डाटा का स्टोरेज क्लाउड में होगा। डाटा अधिक सुरक्षित होगा। सर्वर क्रैश की समस्या से मिलेगी निजात। कहीं से एक्सेस किया जा सकेगा।
- पीएचपी पर विकसित हुआ है मौजूदा सॉफ्टवेयर, जो पूर्व से बेहतर है।
- इसमें अपना डाटा सर्च करना आसान होगा।
- सरकारी जमीन समेत अन्य प्रतिबंधित भूमि की सूची सर्वर में होगी अपलोड।
- सुरक्षित डेटा के साथ होगी ऑनलाइन जमीन का रजिस्ट्री।
- नहीं हो पाएगा विवादित जमीन और नजूल जमीन का पंजीयन।
- सॉफ्टवेयर पर आधार कार्ड, रजिस्टर- 2, पैन-कार्ड का भी किया जाएगा सत्यापन।
- सरकारी एजेंसियों और विभागों के साथ जैसे इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट, इनकम टैक्स आदि से बेहतर सहयोग का प्लेटफॉर्म तैयार किया जा सकेगा।
अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत धमतरी से एनजीडीआरएस सिस्टम लागू किया जा रहा है। जल्द ही प्रदेश भर में शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद लिंक स्लो व डाटा क्रैश जैसी समस्याएं खत्म होंगी।
धर्मेश साहू, महानिरीक्षक, पंजीयन
Published on:
15 Dec 2020 04:43 pm
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