
गंभीर बीमारियों के निदान में इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री की भूमिका महत्वपूर्ण
रायपुर. कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के निदान में इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री (आईएचसी) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। कैंसर के विभिन्न प्रकारों के बीच अंतर बताने के लिए आईएचसी का उपयोग किया जाता है। कैंसर के ट्यूमर में पाई जाने वाली असामान्य कोशिकाओं के निदान में इम्यूनोहिस्टोकेमिकल स्टैनिंग का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका उपयोग कैंसर कोशिकाओं की सतह पर हॉर्मोन रिसेप्टर्स की जांच के लिए किया जाता है। यह बातें कोलकाता के इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजूकेशन और रिसर्च एंड एसएसकेएम हॉस्पिटल से आईं डॉ. मधुमिता मुखोपाध्याय ने 'यूटीलिटी ऑफ आईएचसी इन ट्रूकट बायोप्सी ऑफ लंग ट्यूमर्सÓ विषय पर बोलते हुए कही। मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग की तरफ से कॉन्फ्रेंस हॉल नं. 3 में इम्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री विषय पर दो दिवसीय कार्यशाल का आयोजन किया गया है। इससे पहले कार्यशाला का शुभारंभ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके चंद्राकर, डीन डॉ. आभा सिंह और पैथोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल ने किया। डॉ. आभा सिंह ने कहा कि रोगों की जांच व निदान में आईएचसी की भूमिका महत्वपूर्ण है। आज इस क्षेत्र में नई तकनीक के आ जाने से मरीज की बीमारी का सटीक रूप से पता लगाकर बेहतर उपचार करने में मदद मिल रही है। कार्यशाला में प्रदेश के करीब सभी मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विशेषज्ञ चिकित्सक और निजी पैथोलॉजिस्ट्स शामिल हुए।
हैंड्स ऑन लाइव पर लाइव प्रशिक्षण
हैंड्स ऑन लाइव कार्यशाला में रविवार को कोलकाता के डॉ. मेजर पलाश मंडल, प्रोफेसर डॉ. मधुमिता मुखर्जी, टेक्नीकल एक्सपर्ट आरएन भूनिया एवं एस. पी. जैन इम्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री की नई तकनीक के संबंध में लाइव प्रशिक्षण देंगे।
Published on:
22 Feb 2020 09:54 pm
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