
शक्तिपीठ के साथ यहां प्रकट हुए थे रूद्र काल भैरव, आज भी स्वयं करते हैं देवी की रक्षा
रायपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में आदिशक्ति कौमारी शक्तिपीठ के रूप में विराजमान है वहीं उनके रक्षक भैरव नाथ (kala bhairava pooja )का भी प्रवेश द्वार है। यह प्रवेश द्वार सिद्ध तंत्र पीठ श्री काल भैरव मंदिर ( Kal Bhairav Temple) के रूप में विख्यात है। मान्यताओं के अनुसार यहां मां सती का दाहिना स्कंध गिरा था। तब से ही काल भैरव रक्षक बनकर स्थापित गए है। माना जाता है की काल भैरव के दर्शन के बाद ही कौमारी शक्तिपीठ के दर्शन को पूर्ण माना जाता है।
भैरव मूर्ति का इतिहास
भैरव मूर्ति पहले खुले चबूतरे पर विराजमान थी। बाद में मंदिर का निर्माण बाबा ज्ञानगिरी गोसाई ने करवाया। मंदिर में स्थापित मूर्ति करीब 10 फीट ऊंची है जो की रौद्र रूप में विराजमान है। माना जाता है की भैरव का यह रौद्र दुष्टों और भक्तों की सुरक्षा के लिए है। बताया जाता है की यहां प्राचीन काल में सिद्ध योगी, तांत्रिक साधना करते थे।
शक्तिपीठ में दर्शन (kala bhairava pooja) करने के बाद काल भैरव (Kal Bhairav Temple) के दर्शन से शिव पार्वती की आपार कृपा की प्राप्ति होती है। सभी कष्ट दूर हो जाते है साथ ही जादू-टोने, भूत प्रेत जैसे दोष भी दूर हो जाते है।
Updated on:
07 Mar 2020 02:28 pm
Published on:
12 Jun 2019 08:00 am
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