
Childrens Day Special: @ ताबीर हुसैन। बाल दिवस के अवसर पर शहर के होनहार बच्चों ने अपने नवाचारों और वैज्ञानिक सोच से साबित कर दिया कि जिज्ञासा और कल्पना की कोई उम्र नहीं होती। किसी ने धान के भूसे से जल फिल्टर बनाया, तो किसी ने बुजुर्गों के लिए पलक झपकते ही गैजेट नियंत्रित करने वाला चश्मा तैयार किया। आइए जानते हैं इन नन्हे वैज्ञानिकों की प्रेरक कहानियां।
टाटीबंध के कक्षा नौवीं के यश प्रबोध राजिमवाले ने संभव जैन के साथ मिलकर कोल माइन में गैस लीक या बाढ़ की पूर्व चेतावनी देने वाला सॉटवेयर तैयार किया। यह मॉडल नेशनल राउंड के लिए चयनित हुआ है। यश ने सिंगापुर एशियन मैथ्स ओलंपियाड में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
मोवा निवासी कक्षा आठवीं के नैतिक चतुर्वेदी ने वॉइस-कंट्रोल एडवांस व्हीलचेयर तैयार की है, जो बोलने या बटन दबाने पर चलती है। इसमें सुरक्षा सेंसर और हेल्प अलर्ट सिस्टम जैसी विशेषताएं हैं। यह मॉडल सीबीएसई नेशनल एग्जीबिशन के लिए चयनित हुआ है।
कमल विहार के कक्षा दसवीं के ओम निर्मलकर, आयुष्मान मिश्र और अयंतिका मुखर्जी ने एक ऐसा चश्मा बनाया है, जिससे पलक झपकाकर घर के पंखे, लाइट या टीवी नियंत्रित किए जा सकते हैं। यह आईआईटी दिल्ली में प्रदर्शित हुआ और नेशनल में सिल्वर मेडल जीता।
भनपुरी की कक्षा छठवीं की विग्या जैन ने धान के भूसे से पानी शुद्ध करने वाला फिल्टर बनाया। उनके इस इनोवेशन ने जापान में सिल्वर और नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल जीता। विग्या का रिसर्च पेपर भी प्रकाशित हुआ है। उन्होंने बताया कि यह प्रेरणा उन्हें उनकी वैज्ञानिक मां भावना जैन से मिली।
आनंद नगर के कक्षा चौथी के राजवीर अजवानी को देश का छोटा इंटरनेशनल रेटेड चेस प्लेयर माना गया है। उन्होंने बेमेतरा अंडर-9 स्टेट प्रतियोगिता में सभी 7 मैच जीतकर यह उपलब्धि हासिल की। बेंगलुरु में नेशनल खेलकर उनका चयन ग्रीस इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए हुआ।
Updated on:
14 Nov 2025 01:29 pm
Published on:
14 Nov 2025 01:26 pm
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