
कोरबा. कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल कोयला खदानों में आउटसोर्सिंग का दायरा लगातार बढ़ा रही है। मिट्टी के साथ- साथ 80 फीसदी कोयला खनन निजी हाथों में सौंपने के बाद कंपनी भारी भरकम मशीनों को संचालन के लिए निजी कंपनियों को सौंप रही है। इससे खदान में नौकरी के स्थाई अवसर धीरे धीरे कम हो रहे हैं। आउटसोर्सिंग के मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कोरबा एरिया के अधीन संचालित मानिकपुर कोयला खदान में सबसे अधिक आउटसोर्सिंग के मजदूर काम रहे हैं। यहां लगभग 500 से अधिक मजदूर अलग-अलग ठेका कंपनियों में नियोजित हैं। ठेका मजदूरों से कंपनी मिट्टी खनन के साथ साथ कोयला उत्पादन करावा रही है। एसईसीएल के अधिकारियों का काम मानिकपुर में निगरानी तक सिमट गया है। कंपनी ने अपने अधिकांश मजदूरों को मानिकपुर खदान से हटाकर कुसमुंडा भेजा दिया है। कोल हैंडलिंग प्लांट में भी कंपनी ठेका मजदूरों से काम ले रही है।
बताया जाता है कि आउटसोर्सिंग का पूरा काम कंपनी की रणनीति के अनुसार चल रही है। चालू वित्तीय वर्ष में कंपनी ने मानिकपुर से पांच लाख मिलियन टन कोयला खनन का लक्ष्य निर्धारित है। ठेका मजदूरों के जरिए कंपनी इस लक्ष्य तक पहुंचने के करीब है।
गेवरा, दीपका को निजी हाथों में सौंपने पर विचार: सौ फीसदी आउटसोर्सिंग के मजदूरों से चलने वाली मानिकपुर एसईसीएल की पहली खदान है। ठेका मजदूरों की कार्य कुशलता को देखते हुए कंपनी कोरबा जिले में स्थित मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा में कुछ और काम को आउटसोर्सिंग कंपनियों को देने पर विचार रही है। इसमें मिट्टी और कोयला खनन के लिए और कंपनियों को शामिल की तैयारी है। कंपनी यह पूरी कवायद कोयले की मांग को पूरी करने के लिए कर रही है। चालू वित्तीय वर्ष कंपनी ने 182 मिलियन टन कोयल खनन का लक्ष्य रखा है। अभी तक लगभग 110 मिलियन टन कोयला खनन किया गया है।
खदान में नियमित प्रवृति काम ठेका मजदूरों से कराए जा रहे हैं। इससे स्थाई नौकरी के अवसर कम हुए हैं। हमलोग कई बैठकों में इस मसले को उठा चुके हैं। खदानों में आउटसोर्सिंग का विरोध रहे हैं। लक्ष्मण चन्द्र, श्रमिक नेता, बीएमएस
Published on:
13 Jan 2023 02:46 pm
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