25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आसाराम की राजदार शिल्पी को 20 साल की सजा

एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया कोर्ट ने।

2 min read
Google source verification
cgnews

रायपुर . राजस्थान के अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के मामले में स्वयंभू संत आसाराम बापू को जोधपुर की अदालत ने बुधवार को दोषी करार दिया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। आसाराम अपनी स्वभाविक मृत्यु तक जेल की सलाखों के पीछे ही रहेंगे। अदालत ने आसाराम आश्रम की वार्डन शिल्पी और उनके सहयोगी शरद को भी 20-20 साल कैद की सजा सुनाई। शिल्पी आसाराम की राजदार थी। वह आसाराम के कमरे में नाबालिग लड़कियों को भेजती थी।

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मामलों के विशेषज्ञ न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर केंद्रीय कारागार के अंदर अपना फैसला सुनाया। आसाराम इसी जेल में कैद हैं। बचाव पक्ष की वकील सुषमा धारा ने कहा कि आसाराम को स्वभाविक मृत्यु तक उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। शिल्पी और शरद को एक-एक लाख रुपए जुर्माना भरने के निर्देश भी दिए गए हैं।

474 पृष्ठों का फैसला
न्यायाधीश ने 474 पृष्ठों के फैसले में कहा है कि आसाराम (77) और दो अन्य आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 डी और बाल यौन अपराध निषेध अधिनियम (पॉस्को) और किशोर न्याय अधिनियम (जेजे) के तहत दोषी पाया गया है। पुलिस ने ६ नवंबर 2013 को पॉस्को अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आसाराम और चार अन्य सह-आरोपियों शिल्पी, शरद, शिवा और प्रकाश के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए थे।

शिल्पी का पिता घूस लेते हुआ था ट्रैप
रायपुर के वीआईपी रोड स्थित मौलश्री विहार कॉलोनी में रहने वाली संचिता गुप्ता उर्फ शिल्पी आश्रम में बने गल्र्स हॉस्टल की वार्डन थी। वह आसाराम के कमरे में नाबालिग लड़कियों को भेजती थी। उसके पिता महेंद्र गुप्ता को कुछ साल पहले दुर्ग नगर निगम में एंटी करप्शन ब्यूरो ने घूस लेते हुए ट्रैप किया था। शिल्पी का पूरा परिवार आसाराम का भक्त था। पोस्ट गे्रजुएशन करने के बाद उसने अहमदाबाद में वर्ष 2005 में आसाराम से दीक्षा ली। इसके बाद उसका नाम संचिता गुप्ता से शिल्पी हो गया। वह आश्रम में ही रहने लगी थी। बाद में आसाराम के छिंदवाड़ा आश्रम के गल्र्स हॉस्टल की वार्डन बनी। उसी आश्रम की एक नाबालिग को उसने आसाराम के पास भेजा था, जिससे उसने अनाचार किया था।