
CG News: जानलेवा कोल्ड्रिफ कफ सिरप की जांच की आंच छत्तीसगढ़ के मेडिकल दुकानों से लेकर अन्य दवा कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर, स्टाकिस्ट और सी एंड एफ तक पहुंच चुकी है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने सोमवार से लेकर बुधवार तक अलग-अलग दवाइयों के 70 सैंपलों को जांच के लिए लैब भेजा है। औषधि प्रशासन विभाग को आशंका है कि कहीं बाकी अन्य दवाइयों में कोई अमानक पदार्थ तो नहीं मिले हैं। तमिलनाडु की कंपनी के अधिकृत डीलर का गोदाम राजधानी में संचालित हैं। अधिकारियों ने यहां औचक निरीक्षण के दौरान छह अलग-अलग सैंपल को कब्जे में लेकर इसे भी जांच के लिए भेजा है।
कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद राज्य सरकार ने पहले से ही अलर्ट जारी कर दिया है, वहीं औषधि प्रशासन विभाग ने निर्देश जारी किया है कि बिना डाक्टर के लिखित सलाह के मेडिकल दुकानों से कफ सिरप न दिया जाए। दीपक कुमार अग्रवाल ड्रग कंट्रोलर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने बताया कि प्रदेश के अलग-अलग मेडिकल स्टोर, होलसेल दवा दुकानों से दवाइयों के 70 सैंपलों को जांच के लिए लैब भेजा गया है। कफ सिरप को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं कि डाक्टरी सलाह के बाद ही दुकानों में खरीदी-बिक्री की जाए।
इधर, कंपनी के डूमरतराई स्थित होलसेल फर्म ने अपने लैटरपैड में लिखित में जवाब दिया है कि यहां कोल्ड्रिफ कफ सिरप की सप्लाई नहीं हुई है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने डूमरतराई स्थित होलसेल कंपनी के गोदाम में जाकर अधिकृत विक्रेता शौदित फार्मास्युटिकल फर्म से छह सैंपलों को बरामद किया। इधर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने कहा कि दवा कारोबारियों को सचेत किया गया है कि शासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए दवाइयों का विक्रय करें।
जिस कंपनी के जानलेवा कफ सिरप को पीने से मध्यप्रदेश-राजस्थान में बच्चों की मौतें हुई है। उस कंपनी का होलसेल कारोबार छत्तीसगढ़ में चल रहा है। दरअसल तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित सन फार्मास्युटिकल कफ सिरप, ड्राप, टेबलेट सहित अन्य दवाइयों का विक्रय करता है। जानकारी के मुताबिक कंपनी के 30 अलग-अलग उत्पाद बाजार में मौजूद हैं। औषधि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बाकी अन्य दवाइयों में मिलावट की आशंका के मद्देनजर सैंपल लिए जा रहे हैं।
प्रदेश में दवाइयों के सैंपलिंग और जांच के मामले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने एक बार फिर हडक़ंप मचने का इंतजार किया। प्रदेश के 5000 मेडिकल दुकानों में फार्मासिस्ट की जांच से लेकर दवाइयों के अमानक होने की आशंका को लेकर औषधि विभाग ने अभी तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की। कंपनी से दवाइयां सीधे मेडिकल स्टोर और फिर मरीजों तक पहुंच रही है। डाक्टर और दवा कारोबारी भी कंपनियों से दवाई लेते समय किसी सर्टिफिकेट और पुख्ता जांच रिपोर्ट की मांग नहीं कर रहे हैं।
Updated on:
09 Oct 2025 01:33 pm
Published on:
09 Oct 2025 01:31 pm
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