
सर्वधर्म समभाव की मिसाल है चरौदा का मुक्तेश्वर महादेव मंदिर
रायपुर . श्रावण माह में महादेव के पूजा का एक विशेष महत्ता है। आदिकाल से भगावन शिव को पूजा जा रहा है। एक ऐसा ही मंदिर जहां पर धर्म ,जाति से बढ़कर लोगों की आस्था है । इस मंदिर में हिन्दू और मुस्लान दोनों का अटूट विश्वास है। ग्रामीणों का कहते है।मुक्तेश्वर शिव के दर्शन करने तथा बावड़ी के पवित्र जल का आचमन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगावान शिव के दर्शन करने दूर-दूर से भक्त पहुंचते है,श्रावण में कावडिय़ा जल चढ़ाने आते है। फिलहाल इस मंदिर का जीणोध्दार जारी है।
टीले के खुदाई से प्रगट हुए थे
जहां अभी विशाल शिव मंदिर है, पूर्व में एक टीला था, ईटों के कुछ भाग् टुकड़े आस-पास बिखरे हुए थे, टीले के ऊपरी भाग में दो नारी प्रतिमा जो प्राचीन काल की कलाकृति है, ग्रामीणों ने प्रतिमा को मां महामाई के रूप में पूजा करते है । टीला के पूर्व की तरफ एक गङ्ढा था। जिसमें हमेशा पानी भरा रहता था, अभी पूरा तरफ से घेराबंदी कर बावली के बनाया गया है। 1969 में आसपास के ग्रामीणों द्वारा टीले को खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया, खुदाई के दौरान ग्रामीणों को ईट के टुकड़े मू्र्तियां, मंदिर के अवशेष के साथ खुदाई में ग्रामीणों को जब जलहरी का टूटा हुआ भाग प्राप्त हुआ तो उन्हें अंदर शिवलिंग के दबे हाने का पूरा विश्वास हो गया। कुछ ही समय पश्चात् उन्हें खुदाई मेें शिवलिंग प्राप्त हुआ, जिससे यह अनुमान लगाया गया कि प्राचीनकाल में इस स्थल पर प्राचीन मंदिर था।
पहली पंचवर्षीय में मंदिर निर्माण
धरसीवा के बाबू खान द्वारा पहली पंचवर्षीय में 1946 में जब उन्होंने पदभार संभाला तो वह रोज पांच वक्त की नमाज अदा करने के साथ ही मंदिर में होने वाले भजन-कीर्तन में नियमित रूप से शामिल होते थे। जब धीरे-धीरे इस स्थल की धार्मिक महत्ता बढऩे लगी तब गांववालों ने तत्कालीन सरपंच बाबू खान के नेतृत्व में मंदिर निर्माण का निश्चय किया। एक शाम बारिश होने के कारण मंदिर के सामने की दीवार 10 फीट से ज्यादा नीचे धंस गई। इससे लोगों को मंदिर के भीतर आने-जाने में तकलीफ होने लगी। बस उसी दिन कीर्तन में सरपंच ने घोषणा कर दी कि यहां भव्य शिव मंदिर का निर्माण करेंगे। दूसरे दिन से ही निर्माण के लिए जयपुर से कारीगरों को बुलाने के लिए खुद निकल गए।
छेरछेरा पुन्नी में लगता है मेला
चरौदा मुक्तेश्वर शिव मंदिर के मैदान में प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा (छेरछेरा पुन्नी) को तीन दिवसीय विशाल मेला भरता है। साथ ही माघी पुर्णिमा और शिवरात्रि में मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते है।
Published on:
28 Jul 2019 09:34 pm
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