
हाईकोर्ट की सख्ती काम आई! सरेंडर से पहले हत्या के दोषी की गिरफ्तारी, 10 हजार मुआवजा देने का आदेश...(photo-patrika)
CG High Court: कभी महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण का पाठ पढ़ाने वाली पद्मश्री फूलबासन यादव अब जल संरक्षण की ऐसी जनक्रांति खड़ी कर चुकी हैं, जिसने पूरे जिले का परिदृश्य ही बदल दिया है। उनका आंदोलन ‘नीर और नारी जल यात्रा’ अब तक 250 से ज्यादा गांवों तक पहुंच चुका है। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि ग्रामीण सोच को नई दिशा देने वाला अभियान बन गया है।
अभियान का ही सकारात्मक असर है कि अब दिल्ली में राजनांदगांव का जल मॉडल सम्मानित होगा। ‘मिशन जल रक्षा’ के तहत किसानों को कम पानी वाली फसलें लेने के लिए प्रेरित किया गया। बीते गर्मी के मौसम में धान की खेती में 3 हजार हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई। पहले जहां 9 हजार हेक्टेयर में धान बोया जाता था, अब यह घटकर 6 हजार हेक्टेयर रह गया है।
किसानों की सोच में यह बदलाव इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। ‘नीर और नारी जल यात्रा’ जब किसी गांव में पहुंचती है, तो माहौल उत्सव जैसा बन जाता है। महिलाएं सिर पर कलश रखकर जल यात्रा निकालती हैं और गांव में तालाब, सोख्ता गड्ढे, रिचार्ज वेल व फार्म पॉन्ड बनाने का संकल्प लेती हैं। शेष ञ्चपेज ६
जिला पंचायत सीईओ सुरुचि सिंह भी इस मुहिम की प्रमुख सहयोगी हैं। उनकी अगुवाई में कई गांवों में सामूहिक श्रमदान से तालाबों का गहरीकरण कराया गया है। नतीजा अब ये तालाब लबालब पानी से भरे हैं और भूजल स्तर में स्पष्ट सुधार दर्ज किया गया है।
राजनांदगांव जिला लंबे समय से सेमी क्रिटिकल वाटर जोन में शामिल रहा है। जल संकट से जूझते गांवों में अब किसानों ने धान जैसी अधिक पानी खपत वाली फसलें छोडकऱ दलहन, तिलहन और सब्जियों की ओर रुख किया है।
फूलबासन यादव गांव-गांव की चौपालों में किसानों से कहती हैं ‘एक किलो धान उगाने में दो हजार लीटर से अधिक पानी लगता है, अब वक्त है फसल चक्र बदलने का।’ उनकी यह बात किसानों के दिलों में उतर गई है। अब वही किसान जो पहले मोटर पंप से खेतों में पानी खींचते नहीं थकते थे, आज जल संरक्षण के लिए श्रमदान कर रहे हैं।
फूलबासन यादव ने वर्ष 2024 में ‘हरियाली बहिनी अभियान’ की शुरुआत की थी, जिसमें महिलाओं ने हजारों पौधे लगाए और उनकी जिम्मेदारी खुद संभाली। आज वही महिलाएं अब जल संरक्षण की अग्रदूत बन गई हैं। अभियान के सहयोगी शिव देवांगन बताते हैं कि हर पौधा और हर तालाब इस मुहिम का हिस्सा है। महिलाएं अब गांवों में हरियाली और जल संरक्षण की पहरेदार बन चुकी हैं।
Published on:
15 Nov 2025 10:07 am
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