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चढ़ा दी 100 पेड़ों की बलि तो सड़क से सोशल मीडिया तक छलका दर्द, कहा – ये हमारे पुरखे

राजधानी को सुंदर बनाने के नाम वर्षों पुराने पेड़ों पर चल रही आरी के विरोध में सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध शुरू हो गया है।

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tree cut in raipur

रायपुर . राजधानी को सुंदर बनाने के नाम वर्षों पुराने पेड़ों पर चल रही आरी के विरोध में सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध शुरू हो गया है। पेड़ों को पुरखे बताते हुए कटाई के विरोध में ज्ञापन और सैकड़ों कमेंट सामने आ रहे हैं लेकिन पेड़ों की बलि देने में प्रशासन कमी नहीं कर रहा है।

कोतवाली चौंक में कटे सालों पुराने पेड़ को लेकर लोगों की संवेदनाएं सामने आ रही हैं। कुछ कह रहे हैं एेसा विकास किसी काम का नहीं तो कुछ अफसरों को कोस रहे हैं। लोगों कहना है कि एक तरफ पेड़ लगाने के लिए बिल्डिंगों को तोड़ कर पर्यावरण संरक्षण के नाम पर वाहवाही लूटी जा रही है, दूसरी ओर शहर के 37 एेसे पेड़ काटे जा रहे हैं जो चार पीढिय़ों को छाया दे चुके हैं।

कलक्टर को सौंपा ज्ञापन
रायपुर पेड़ बचाव संस्था के सदस्यों ने बचे हुए पेड़ों को काटने से रोकने के लिए कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने शहर में विकास के नाम पर काटे जाने वाले 37 वर्षों पुराने पेड़ों के विरोध में कलक्टर को ज्ञापन दिया और जन आंदोलन की चेतावनी दी।

अब सिद्धार्थ चौक भी तरसेगा छांव को
सड़क चौड़ीकरण के चलते 100 से भी अधिक वर्ष पुराने नीम, पीपल और बरगद के विशालकाय पेड़ों को काट डाले गए। पेड़ों की कटाई का क्रम जारी है। शनिवार को सिद्धार्थ चौक स्वीपर कॉलोनी, पाठक निवास के सामने लगे 50-60 साल पुराने नीम, पीपल के चार पेड़ों को काट दिया गया। वार्ड पार्षद पति देवेंद्र यादव ने कहा कि एक ओर सरकार ऑक्सीजोन निर्माण पर लाखों रुपए खर्च कर रही है, वहीं नीम, पीपल और बरगद जैसे धार्मिक महत्व वाले पेड़ों को बेरहमी से काटा जा रहा है, जिन पेड़ों को अभी तक काटा गया वे काफी पुराने थे।

वहीं, नेहरूनगर वार्ड पार्ड पति महादेव मन्नू नायक ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान पेड़ों को आज नहीं तो कर हटाया जाना है। फिलहाल सड़क चौड़ीकरण के पहले और भी बहुत से कार्य करना है जिसे पहले किया जाना चाहिए, उसके बाद ही सड़क किनारे के पेड़ों को हटाना या शिफ्टिंग करना जो भी संभव होता उसे किया जाना चाहिए।

बिना अनुमति कटाई
सामाजिक कार्यकर्ता कुनाल शुक्ला ने फेसबुक लाइव से विरोध जताया। उन्होंने मौके पर पेड़ काटने पहुंचे कर्मचारियों से पेड़ों को काटने की अनुमति के दस्तावेज मांगे, जो उनके पास नहीं थे। उन्होंने लाइव के दौरान कहा कि राजधानी की जनता को हक है अपने शहर के एक-एक पेड़ का हिसाब लेने का।

पीपल फॉर पीपुल का यह कैसा नारा?
सिद्धार्थ चौंक के 100 साल पुराने पीपल के पेड़ को कटाने के विरोध में आए आदिवासी सेना के नेता दीनू नेताम ने सरकार को ही कह डाला की विनाश काले विपरीत बुद्धि। इतना ही नहीं उनके इस पोस्ट पर दर्जनों कमेंट आए हैं जिसमें कलक्टर ओपी चौधरी का नारा पीपल फार पीपुल को जमकर तला गया है।

कोतवाली चौक पर कैंडल मार्च आज
रविवार शाम 7 बजे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोतवाली चौक के 400 साल पुराने पेड़ के कटने के विरोध में कैंडल मार्च निकाला जाएगा। जिसमें राजधानी सहित सभी इलाके के लोगों को इसमें शामिल होने कहा गया है।

कुछ इस तरह छलका पेड़ों की कटाई का दर्द

शहर संस्कृति देख हैरत में हैं गांव
साहित्यकार गिरीश पंकज ने पेड़ों की हत्या को कविता में इस तरह पिरोया।
पेड़ सयाने कट गए, मिटी साथ में छांव।
शहर संस्कृति देख कर, हैरत में हैं गांव।।
पेड़ नहीं निर्जीव ये, लेते -देते श्वास।
मूरख जन को क्या पता, जो मुर्दा-बकवास।।
पेड़ हमारे हैं सखा, इन्हें काटना पाप।
जो करता ऐसा वही, भोगे फिर अभिशाप।।
पेड़ कटा, पंछी दुखी, रहने लगे उदास।
शाम हुई कैसे करें, घर की यहां तलाश।।
अपराधी मन को लिए, करते लोग विकास।
पेड़ काटते जो यहां, फितरत से बदमाश।।
पेड़ पुराने थे हरे, देते रहे सुकून।
उन्हें काट के कर दिया, धरती का ज्यों खून।।

यहां कोई बोलता नहीं...
युवा कवि वैभव बेमेतरिहा ने फेसबुक पर कविता से कुछ इस तरह अभिव्यक्त किया।
ये शहर मुर्दों का हो चला है यहां कोई बोलता नहीं।
भगत को पूजते सब हैं, पर खून खौलता नहीं।।
स्मार्ट सिटी वाला ये शहर खूब संवर रहा है।
पर कोई ये भी तो देखें, धरोहर सब उजड़ रहा है ।।
पूंजीपतियों की सांस फू लने लगी तो ऑक्सीजोन बनने लगा।
फुटकर व्यापारियों की दुकानें टूटी और गरीब हटने लगा।।
अब सामंती व्यवस्था के आगे जुबां कोई खोलता नहीं।
ये शहर मुर्दों को हो चला है यहां कोई बोलता नहीं।।