
हिपेरिन इंजेक्शन के दो बैच पहले ही फेल, अब 3 और घटिया निकले... कब थमेगा ज़िंदगी से ये खिलवाड़?(photo-unsplash)
CG News:पीलूराम साहू. छत्तीसगढ़ के रायपुर में डिवाइन लेबोरेटरीज वड़ोदरा में बने दो बैच के इंजेक्शन पहले ही फेल हो चुके थे, अब और तीन बैच के इंजेक्शन भी घटिया निकले हैं। बड़ा सवाल है कि आखिर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कब तक होता रहेगा?
सीजीएमएससी ने पहले ही पत्रिका में खबर छपने के बाद डिवाइन कंपनी व पंचकूला की दो लैब के साथ रेट कांट्रेक्ट खत्म कर दिया था। तीन नए बैच के इंजेक्शन घटिया निकलने के बाद इनके उपयोग पर रोक लगाते हुए स्टॉक वापस गोदाम में मंगाया गया है।
सीजीएमएससी ने हिपेरिन सोडियम इंजेक्शन आईपी (ड्रग कोड-डी 255) तथा हिपेरिन सोडियम 1000 आईयू एमएल आईपी इंजेक्शन (ड्रग कोड-डी 254) के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। पहले बैच नंबर डीपी 2143 तथा डीपी 4111 घटिया निकला था। अब डीपी 3069, डीपी 4272 तथा डीपी 3017 खराब निकला है। सीजीएमएससी मुख्यालय के पत्र के बाद रायपुर स्थित वेयर हाउस के ड्रग स्टोर के स्टोर ऑफिसर ने यह कदम उठाया है।
आंबेडकर अस्पताल, डीकेएस अस्पताल के अधीक्षक, सरकारी डेंटल कॉलेज के प्राचार्य, रायपुर व बलौदाबाजार के जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन, सीएमएचओ, बीएमओ, सीएचसी, पीएचसी, शहरी हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर प्रभारियों को पत्र लिखकर इंजेक्शन का स्टाॅक वापस करने को कहा है। ताकि इस इंजेक्शन का उपयोग नहीं किया जा सके। पत्रिका के पास सीजीएमएससी का वह पत्र है, जिसमें दवा के उपयोग पर रोक व स्टॉक वापस मंगाया गया है।
डिवाइन लेबोरेटरी वड़ोदरा में बने हिपेरिन इंजेक्शन बैच नंबर डीपी 4111 तथा बैच नंबर डीपी 2143 के इंजेक्शन लगाने के बाद भी मरीजों पर कोई असर नहीं हो रहा था। थक्का न जमे इसलिए खून पतला करने के लिए ये इंजेक्शन लगा रहे थे। डॉक्टर मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन लगाकर ऑपरेशन कर रहे थे।
इंजेक्शन घटिया होने की शिकायत एसीआई स्थित कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी विभाग ने अस्पताल प्रबंधन से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। पत्रिका ने 8 जनवरी के अंक में ओटी टेबल पर सर्जरी के लिए तैयार मरीज का खून नहीं हुआ पतला शीर्षक से पहली खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद इंजेक्शन से जुड़े अन्य खबरें प्रकाशित की।
दवा कॉर्पोरेशन ने इंजेक्शन को ओके रिपोर्ट देने वाली हरियाणा की दोनों लैब इडमा लेबोरेटरीज लिमिटेड पंचकूला व सेटिएट रिसर्च एंड अंटेक प्राइवेट लिमिटेड बरवाला पंचकूला से रेट कांट्रेक्ट खत्म कर दिया है। वहीं सीजीएमएससी के तत्कालीन डिप्टी मैनेजर क्वालिटी कंट्रोल लक्ष्मण खेलवार को सस्पेंड करने की अनुशंसा की गई थी।
कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी ने अस्पताल अधीक्षक को हिपेरिन इंजेक्शन के संबंध में लिखा था कि एंजियोप्लास्टी के दौरान कैथेटर में खून का क्लाट बन रहा है। खून के थक्के जल्दी बन रहे हैं, जो कि मरीजों की जान के लिए खतरा है। इंजेक्शन की क्वालिटी घटिया है। एंजियोप्लास्टी हो या, ओपन हार्ट व वेस्कुलर सर्जरी, मरीजों का खून पतला करना जरूरी है।
ऐसा नहीं होने पर मरीज की जान जा सकती है। हार्ट अटैक आने के बाद भी हिपेरिन इंजेक्शन को मरीजों को लगाया जाता है, ताकि खून का थक्का कम हो जाए और मरीजों को राहत मिले। डॉक्टरों का कहना है कि खून पतला करने वाली मशीन जहां नहीं है, वहां भी इंजेक्शन को मरीजों को लगाया गया।
Published on:
26 Jun 2025 07:59 am
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