जानिए पूरा मामला
दरअसल, 16 जुलाई की सुबह खरसिया के ग्राम चोढ़ा निवासी वीर सिंह अपने पिता का इलाज कराने के लिए अपने भाई धनसिंह के साथ खरसिया अस्पताल गया था। जहां उन्होंने अपने पिता को अस्पताल में भर्ती किया। ऐसे में उन्हें एक रात अस्पताल में ही रुकना पड़ा। उस रात घर में वीर सिंह की पत्नी व बच्चा तथा धनसिंह की पत्नी और बच्चे थे। पुलिस ने बताया कि वीर सिंह और धनसिंह का आंगन एक ही है, लेकिन कमरा अलग-अलग है।
संदिग्ध परिस्थितियों में मिली दोनों की लाश
वहीं 17 जुलाई की दोपहर जब वीर सिंह अपने पिता का इलाज कर घर लौटा तो देखा कि उसका कमरे में ताला बंद है। इसके बाद ताला खोलकर अंदर जाकर देखा तो उसकी पत्नी जगरमति 30 वर्ष व उसका बेटा जीतू राठिया 05 वर्ष की लाश पड़ी थी। वहीं पूरा कमरा खून से सना था। इसके बाद उसने शोर मचाया और घटना की सूचना पुलिस को दी गई। सूचना मिलते ही पुलिस दल-बल के साथ मौके पर पहुंची और पंचनामा कार्रवाई किया गया। इस मामले में पुलिस अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कर मामले की विवेचना की जा रही है।
ऐसे हुआ खुलासा
मां-बेटे की हत्या होने के बाद जब पुलिस ने मृतिका की जेठानी लक्ष्मी राठिया से पूछताछ की तो उसने कहा कि रात में उसे ऐसी कोई आहट सुनाई दी, जिससे उसकी नींद खुल सके। ऐसे में पुलिस को लक्ष्मी राठिया का बयान थोड़ा अटपटा लगा और उस पर शंका हुई। वहीं मौके पर मृतिका के अलावा एक अन्य महिला की भी चूड़ी टूट कर पड़ी थी। ऐसे में पुलिस ने लक्ष्मी राठिया से सख्ती से पूछताछ किया तो उसने अपना जुर्म कुबल लिया। वहीं इस मामले में गांव के एक युवक संदीप राठिया को भी शामिल होना बताया। इसके बाद पुलिस ने संदीप को भी पकड़ लिया। फिर दोनों का बयान लिया गया।
उस रात यह हुआ था…
पुलिस को संदीप ने बताया कि जगनमति और उसकी जेठानी लक्ष्मी राठिया के घर महुआ शराब बनाया और बेचा जाता है। संदीप अक्सर शराब पीने जाया करता था। इस बीच संदीप की दोनों महिलाओं व घर के पुरुषों के साथ जान-पहचान हो गई। धीरे-धीरे अवैध संबंध स्थापित होने लगा। वह एक ही घर की दोनों ही महिलाओं के साथ छुप-छुप कर मिलने लगा और अवैध संबंध बनाने लगा। 16 जुलाई की रात भी दोनों पुरुषों के घर में नहीं होने पर वह जगनमति के घर गया।
पहले देवरानी को पीटा, फिर कर दी हत्या
पुलिस ने बताया कि संदीप और लक्ष्मी राठिया के हजार कोशिशों के बाद भी जब जगनमति मानने को तैयार नहीं हुई तो लक्ष्मी और उसका भिड़ंत हो गया। दोनों की एक-दूसरे का बाल पकड़ कर एक दूसरे को मारने और चिल्लाने लगे। तभी संदीप को डर लगा कि कोई आ जाएगा, ऐसे में उसने घर कोने में पड़े कुल्हाड़ी को उठाकर जगनमति के सिर पर पीछे साइड वार कर दिया। अपनी जान बचाने के लिए वह दरवाजे की तरफ भागी तो उसकी जेठानी और संदीप उसे घसीटकर फिर से कमरे में लाए और लक्ष्मी राठिया ने संदीप से टांगी छीनकर जगनमति के सिर पर ताबड़तोड़ वार कर उसकी हत्या कर दी।
कहीं सबूत न बन जाए इसलिए बच्चे को मारा
अपने कमरे में मारपीट और शोर शराबा सुनकर पांच वर्षीय मासूम जीतू राठिया की नींद खुल गई। इसके बाद अपनी मां को पिटता देख वह रोने लगा। आरोपियों ने जब उसकी मां को जान से मार दिया तो उन्हें लगा कि कहीं उसका बेटा सबूत न बन जाए और हमारा नाम बता दे।