
रायपुर. संसदीय सचिवों (Parliamentary Secretary) की नियुक्ति को लेकर विधानसभा (CG Assembly) में हंगामा हुआ। शून्यकाल में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, संसदीय सचिवों की व्यवस्था के खिलाफ मो. अकबर उच्च न्यायालय गए थे। कांग्रेस ने विरोध किया था, अब सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त कर दिए। इस संबंध में स्थिति साफ की जानी चाहिए।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, इस संबंध में सदन को जानकारी दी जानी चाहिए कि उनका क्या काम होगा। कौन-कौन से अधिकार उन्हें दिए जाएंगे। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, इस संबंध में भ्रम की स्थिति है। सदन में संसदीय सचिवों का परिचय कराना चाहिए था। जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, क्या सदन में संसदीय सचिवों के परिचय कराने की परंपरा रही है। अगर यह परंपरा थी तो आपने अपने कार्यकाल में संसदीय सचिवों का परिचय क्यों नहीं कराया। अगर आप परंपरा बनाना चाहते हैं तो हमें परिचय कराने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने पूछा, भाजपा शासनकाल में हाईकोर्ट के फैसले से सदन को क्यों अवगत नहीं कराया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा, संसदीय सचिव, मंत्रियों को कामकाज में मदद के लिए बनाए गए हैं, उन्हें सीखने को मिलेगा। विधि मंत्री मोहम्मद अक़बर ने कहा, नियुक्तियों में उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया गया है। उन्होंने भाजपा विधायकों से पूछा, 15 साल क्या आपने संसदीय व्यवस्था की किताब को पढ़ा नहीं था, जो संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी। इस मुद्दे पर भाजपा, जकांछ और कांग्रेस विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने चर्चा कराने अथवा नहीं कराने का फैसला सुरक्षित कर लिया।
विधानसभा में जवाब नहीं देंगे संसदीय सचिव
संसदीय सचिवों की स्थिति स्पष्ट करते हुए विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, संसदीय सचिव सदन में जवाब नहीं देंगे। उन्हें मंत्री का दर्जा नहीं है। ऐसे में विधायकों से उनका परिचय कराने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें मंत्रियों की मदद के लिए नियुक्त किया गया है, मंत्रियों से उनका परिचय हो चुका है।
Published on:
27 Aug 2020 12:02 pm
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