वे डीडीयू ऑडिटोरियम में एक निजी विवि के दीक्षांत समारोह में शामिल होने आए थे। इस दौरान पत्रिका से खास बातचीत में बार्क की एक्टिविटी और पाकिस्तान- चीन के न्यूक्लियर पर बात रखी। बोले- आज चीन और पाकिस्तान रिसर्च रिएक्टर से समृद्ध हैं लेकिन (Scientist R. chidambaram) इस मामले में भारत इनसे ज्यादा सक्षम है।
न्यूक्लियर से कैंसर का इलाज उन्होंने बताया कि स्किन कैंसर में गामा किरणों का उपयोग किया जाता है। इसमें कैंसर की कोशिकाओं के साथ-साथ स्वस्थ कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं, लेकिन अब न्यूक्लियर एनर्जी के उपयोग से एसलारेस बेस्ड (इसमें प्रोटोन और कार्बन को चुन लिया जाता है) प्रोसेस से सिर्फ कैंसर युक्त कोशिकाओं को ही हटाया जा सकता है। यह मेडिसिन की दुनिया में न्यूक्लियर एनर्जी की बड़ी उपलब्धि है।
ऐसे बढ़ेगा यूरेनियम का पावर जैसे आज यूरेनियम 238 को हम प्लूटोनियम 239 बना सकते हैं, सोडियम 232 को यूरेनियम 233 बना सकते हैं। आने वाले दिनों में यूरेनियम को प्लूटोनियम के साथ रिसाइकिल करेंगे तो यूरेनियम से 50 गुना पावर मिलेगा। अगर थोरियम के साथ रिसाइकिल करें तो 600 गुना पावर मिलेगा। यही वजह है कि देश में क्लोज न्यूक्लियर फ्यूल साइकिल बनाया था जो होमी (CG Hindi News) जहांगीर भाभा के समय से ही चल रहा है।
जानिए कौन हैं चिदंबरम आर. चिदंबरम की पहचान बम डिजाइनर के रूप में होती है। चिदंबरम ने भारत के विशाल परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान का नेतृत्व किया। वे बाद में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार बने। उन्होंने परमाणु विस्फोटों के बाद भारत की आलोचना को प्रभावी ढंग से खारिज किया। चिदंबरम एक युवा साइंटिस्ट के रूप में 1974 के ’शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट’ में भी शामिल थे। चिदंबरम ने 1998 में एपीजे अब्दुल कलाम (Raipur News) के साथ मिलकर 1998 के परमाणु बम परीक्षण का प्लान तैयार किया था।