
Raipur Forest News : कांकेर शहर से महज 4 किमी दूर स्थित डुमाली गांव की पहाड़ी में पहली बार एक मादा तेंदुआ के साथ 4 शावक एक साथ नजर आए।
यह दुर्लभ दृश्य स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। घटना का एक वीडियो, जिसे वहां से गुजर रहे राहगीर ने कैद किया, सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
यह घटना न केवल वन्यजीवों की समृद्धि की ओर इशारा करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की जरूरत को भी उजागर करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुए जैसे वन्यजीवों का इस क्षेत्र में दिखना यह साबित करता है कि जंगल अभी भी इनके रहने योग्य हैं, लेकिन मानव गतिविधियों और शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण इनका अस्तित्व खतरे में है।
स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे इस क्षेत्र में सावधानी बरतें और वन्यजीवों को किसी भी तरह से परेशान न करें।
पर्यावास का नुकसान (Habitat Loss): जंगलों और प्राकृतिक आवासों का विनाश, शहरीकरण और कृषि भूमि के विस्तार के कारण तेंदुओं के रहने की जगह कम होती जा रही है। जंगलों के कटने से तेंदुओं का शिकार और सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ रहे हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष: मानव बस्तियों के पास तेंदुओं की मौजूदगी अक्सर उन्हें मानव-वन्यजीव संघर्षों में धकेल देती है। जब तेंदुए गांवों या शहरों के नजदीक आ जाते हैं, तो वे पालतू जानवरों या मवेशियों पर हमला कर सकते हैं, जिससे लोग उन पर हमला करने की कोशिश करते हैं।
शिकार (Poaching): तेंदुए की खाल, हड्डियों और अन्य अंगों की अवैध तस्करी भी उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रही है। अवैध शिकारियों के लिए तेंदुए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य होते हैं।
भोजन की कमी: जंगलों में शिकार की उपलब्धता घटने के कारण तेंदुओं को मानव आबादी के पास आना पड़ता है, जिससे उनका जीवन और अधिक जोखिम में पड़ जाता है।
संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन तेंदुओं की संख्या स्थिर बनाए रखने और उनके प्राकृतिक आवास को बचाने के लिए अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
Updated on:
18 Sept 2024 09:11 am
Published on:
18 Sept 2024 09:03 am
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