
नई दवाइयों से बढ़ रही एचआईवी पीड़ितों की उम्र
रायपुर। world AIDS Day : एचआईवी पीड़ित अब नई दवाइयों से लंबी उम्र जीने लगे हैं। नई दवाइयों का असर है कि उनमें वायरल लोड कम हो रहा है। इससे उन्हें बार-बार इंफेक्शन भी नहीं हो रहा है। यही नहीं वे दूसरी बीमारियों से भी कम पीड़ित हो रहे हैं। एचआईवी संक्रमित महिलाएं विशेष दवा लेने के बाद स्वस्थ शिशु को जन्म दे रही हैं। ऐसी महिलाओं की सर्जरी आंबेडकर समेत सभी मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पतालों में की जा रही है।
1 दिसंबर को पूरे विश्व में एड्स दिवस मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से एचआईवी पीड़ितों की दिशा में जागरूकता संबंधी कार्य व इलाज किया जा रहा है। रायगढ़ में महिला यौन कर्मियों के लिए 7 से 8 समूह बनाया गया है। ये सिलाई केंद्र में प्रशिक्षण के साथ सिलाई का काम कर रही हैं। यही नहीं अचार, बड़ी भी बना रही हैं। इसमें एनजीओ मदद कर रही हैं।
सोसाइटी की मदद से छत्तीसगढ़ पुलिस में 11 ट्रांसजेंडर की भर्ती हुई है। इन्हें सरकारी कैलेंडर में भी स्थान दिया गया है। यही नहीं बस्तर फाइटर में भी 6 ट्रांसजेंडर की भर्ती हुई है। आंबेडकर अस्पताल समेत दूसरे मेडिकल कॉलेज में एचआईवी पीड़ितों के इलाज के लिए सेंटर चल रहे हैं। वहां उनकी जांच से लेकर काउंसलिंग भी हो रही है। यही नहीं 6 एचआईवी संक्रमितों का डायलिसिस भी किया जा रहा है। प्रदेश में 2007 से 42128 एचआईवी संक्रमित हैं। विशेषज्ञों के अनुसार आबादी की तुलना में यह कम है।
इंजेक्टेड नशा करने वाले 160 युवा जी रहे सामान्य जीवन
प्रदेश में इंजेक्टेड नशा को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग बड़ा काम कर रहा है। एड्स कंट्रोल सोसाइटी के माध्यम से अभी तक 160 युवाओं को नशामुक्त किया जा चुका है। इंजेक्शन वाले नशा से एचआईवी फैलने का खतरा रहता है। सिम्स व जिला अस्पताल बिलासपुर के अलावा सुपेला भिलाई, मनेंद्रगढ़, विश्रामपुर व कोरबा में नशा मुक्ति केंद्र खोला गया है। इसमें नशा करने वाले युवाओं को एनजीओ के माध्यम से सेंटर पहुंचाया जा रहा है। इस सेंटर के माध्यम से युवाओं को एचआइवी संक्रमित होने से भी बचाया जा रहा है।
एचआईवी पीड़ितों को कैंसर का रिस्क ज्यादा
एचआईवी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो, उन्हें कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। फेफड़े के कैंसर सर्जन डॉ. कृष्णंकात साहू व ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास गाेयल के अनुसार शुरुआती चरण में कैंसर का पता लगाना और तुरंत इसका इलाज करने से एचआईवी के साथ लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि बाद में एचआईवी संक्रमित लोगों को कैंसर होने पर रिस्क बढ़ जाता है।
प्रदेश में इंजेक्शन से नशा लेने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसमें सफलता भी मिल रही है। एचआईवी पीड़ितों के इलाज के साथ काउंसिलिंग की जा रही है। महिला यौन कर्मियों को आजीविका का साधन दिया गया है।
- डॉ. जीजे राव, अतिरिक्त परियोजना नियंत्रक एड्स सोसाइटी
टॉपिक एक्सपर्ट
कुछ कैंसर मरीज एचआईवी से पीड़ित रहते हैं। ऐसे मरीजों की भी सफल सर्जरी की जा रही है। प्रथम स्टेज में कैंसर का पता चल जाए तो इलाज के बाद ऐसे मरीज सामान्य जीवन भी जी रहे हैं। जागरूकता से एचआईवी संक्रमित होने से बचा जा सकता है।
डॉ. युसूफ मेमन, सीनियर कैंसर सर्जन
Published on:
01 Dec 2023 07:41 am
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