World Thyroid Day 2025: गर्भावस्था में थायरॉयड डिसऑर्डर
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थायरॉयड एक ‘मूक बीमारी’ बनकर उभर रहा है। इसे लोग या तो पहचान नहीं पाते, या तब समझते हैं जब यह उनकी दिनचर्या, हॉर्मोन और हौसलों को पूरी तरह चकनाचूर कर देता है। गर्भावस्था में थायरॉयड डिसऑर्डर न केवल भ्रूण के दिमागी विकास को प्रभावित करता है, बल्कि मां के लिए भी रिस्क बढ़ा देता है।
डॉक्टर्स के मुताबिक, पहली तिमाही में थायरॉयड जांच अनिवार्य होनी चाहिए, खासकर अगर महिला को पहले गर्भपात या इनफर्टिलिटी की समस्या रही हो। इस मौके पर हमने नेहरू मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर और एस्थेटिक फिजिशियन डॉ. मान्या ठाकुर से बातचीत की।
थायरॉयड: एक ग्रंथि नहीं, शरीर का रिमोट कंट्रोल
गर्दन के सामने तितली जैसी दिखने वाली यह छोटी सी ग्रंथि शरीर के तापमान से लेकर दिल की धडक़न,
वजन, ऊर्जा और यहां तक कि मां बनने की प्रक्रिया तक को कंट्रोल करती है। और यही ग्रंथि जब ‘अनबैलेंस’ हो जाती है, तो शरीर ही नहीं, जिंदगी भी बिगड़ जाती है। थायरॉयड की अनदेखी, आज के दौर की सबसे बड़ी गलती बन रही है। खासतौर पर महिलाएं, जो घर-ऑफिस और रिश्तों के बीच खुद को भूल चुकी हैं, उनके लिए ये एक चुपचाप हमला है।
अब ‘मामूली बीमारी’ नहीं, हेल्थ ट्रेंड बन चुका है…
नए रिसर्च बताते हैं कि भारत में 30 प्रतिशत महिलाएं थायरॉयड से प्रभावित हैं, जिनमें से आधी को तो इसका अहसास ही नहीं होता। बदलते समय में यह सिर्फ मेडिकल केस नहीं, ‘मेटाबॉलिक आइडेंटिटी क्राइसिस’ का रूप ले चुका है।
World Thyroid Day 2025: क्या खाएं, क्या छोड़ें?
- हाइपर थायरॉयड वाले मरीजों को अपनी थाली में खास बदलाव करने की जरूरत है।
- कैल्शियम और प्रोटीन को डाइट में जरूर शामिल करें, ये हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूती देंगे।
- नमक की मात्रा सीमित रखें। सोडियम की अधिकता से थायरॉयड हॉर्मोन असंतुलित हो सकता है।
- एनर्जी ड्रिंक्स से दूरी रखें, ये अस्थिर हॉर्मोन लेवल को और उछाल सकते हैं।
- ब्रोकली, पत्ता गोभी और फूलगोभी जैसे क्रूसीफेरस सब्जियों को सलाद में न लें। ये आयोडीन एब्जॉप्स्रन को कम करते हैं।
- फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाकर रखें। एक्टिव शरीर ही थायरॉयड को बैलेंस रख सकता है। योग, वॉक और डांस जैसी गतिविधियां मेटाबॉलिज्म को एक्टिव बनाए रखती हैं।