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460 मीटर पहुंच पर्यटकों को लुभाने वाला हलाली डैम, मस्ती में झूम रही पानी पर लहरें

डैम में उमड़ रही पानी की लहरें पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर रही है।

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460 मीटर पहुंच पर्यटकों को लुभाने वाला हलाली डैम, मस्ती में झूम रही पानी पर लहरें

460 मीटर पहुंच पर्यटकों को लुभाने वाला हलाली डैम, मस्ती में झूम रही पानी पर लहरें

रायसेन. मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित हलाली डैम लबालब हो चुका है, फिलहाल डैम का वाटर लेवल 460 मीटर तक पहुंच गया है, देखने में डैम के हालात साफ नजर आ रहे हैं कि अगर थोड़ी और बारिश हुई तो पानी डैम से निकलकर सड़कों तक आ जाएगा, डैम में उमड़ रही पानी की लहरें पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर रही है।

रायसेन. इस वर्ष बारिश ने खरीफ की फसलों को भरपूर पानी दिया है, साथ ही रबी की फसलों के लिए भी जमीन के नीचे और ऊपर जमकर पानी एकत्र कर दिया है। बीते साल की तुलना में इस साल जिले के लगभग सभी तालाबों का जल स्तर अधिक है। हर तालाब लबालब है, जिनसे रबी की फसलों को जरूरत के मुताबिक पानी मिल सकेगा। भूमिगत जल स्तर भी खूब बढ़ गया है, जिससे नलकूप भी भरपूर पानी देंगे। बारिश ने किसानों का फसलों को पानी लगाने का खर्च भी कम कर दिया है। हालांकि सरकार की मंशा के अनुरूप बारिश के पानी को एकत्र करने के लिए अमृत सरोवर योजना जिले में कागजी साबित हुई है। इस योजना के तहत सरोवर आकार नहीं ले सके। उल्लेखनीय है कि जिले में लगभग दो लाख हैक्टेयर रकबा की फसलों को छोटे बड़े तालाबों से सिंचाई के लिए पानी मिलता है। 58 अमृत सरोवर बनते है तो यह रकबा और बढ़ सकता है।
पेयजल संकट
भी होगा कम
उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी गर्मियों में पेयजल का संकट भी बीते साल की तुलना में कम होगा। इस साल भू जल स्तर ऊपर तक आ गया है। बारिश के इस पानी को खर्चने में कंजूसी की तो गर्मियों में जल संकट के आसार नहीं बनेंगे। हालांकि इसके लिए संबंधित विभाग लोगों को जागरुक करने के कोई प्रयास नहीं करता है, न ही जिले में जल संरक्षण के लिए कोई प्रयास सरकारी या निजी तौर पर किए जाते हैं। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग जैसी योजना केवल कागजों तक सीमित है, नगरीय निकायों में इसके लिए नियम होने के बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं। नतीजतन बारिश का पानी बड़ी मात्रा में बेकार बह जाता है।-----

नहीं बने अमृत सरोवर
सरकार ने जिले में 58 अमृत
सरोवर तैयार करने का लक्ष्य रखा था। इस राज्य स्तरीय योजना का शुभारंभ रायसेन जिले से
होने के बाद भी समय रहते जिले में अमृत सरोवर नहीं बन सके, जिससे बारिश का पानी नहीं सहेजा जा सका। जिला पंचायत और
आरइएस विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।