
रायसेन. कहते हैं कि जिसका कोई नहीं होता, उसका भगवान होता है। और ईश्वर पर भरोसा करने वाले का हर मुसीबत में मददगार बनकर खुद ईश्वर ही आता है और उसे परेशानियों से निकाल लेता है। जी हां बात सच है, और इसका उदाहरण हैं, यशोदा बाई। दरअसल तीन पुत्रों की मां ७० वर्षीय यशोदा बाई पर जब संकट आया तो चारों तरफ से आया। उन्हें जब अपने ही बेटे और बहुओं ने ठुकराया तब भी उन्होंने धैर्य और संयम नहीं खोया। वे हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी वार्ड १७ के नजदीक दुर्गा नगर झुग्गी बस्ती में एक झुग्गी बनवाकर उसमें अकेले गुजर बसर करने लगी। लेकिन उनकी जिंदगी में संकट के बादल फिर आए ।
जब वे अपने पैतृक गांव बनगवां गईं, तभी खेतों की में नरवाई लगी आग ने उनकी झुग्गी को जलाकर बर्बाद कर दिया। स्थिति ये हो गई कि भीषण गर्मी-लू के थपेड़ोंं के बीच बेघर यशोदा बाई के सामने खाने और सिर छिपाने तक का सहारा न था। इसीलिए उन्हें बालक हासे स्कूल की गलियारे में तक समय बिताना पड़ा।
संकट की घड़ी में फोर्ट क्लब आया गरीब बेसहारा महिला की सहायता करने
संघर्षों मे जीवनयापन करती वृद्धा की खबर जब रायसेन फोर्ट क्लब रायसेन के सदस्यों को लगी, तो क्लब के सभी सदस्यों ने आपस में मिलकर राशि एकत्रित की और इस राशि से न केवल यशोदा बाई के आग में जले घरोंदे को सुधरवाया, बल्कि महिला के लिए खाने-पीने की वस्तुओं सहित बर्तन, ओढऩे बिछाने के कपड़े रजाई, गद्दे आदि के इंतजाम करवाया। संकट की इस घड़ी में जब रायसेन फोर्ट क्लब के सदस्य यह सामान देने उनके पास पहुंचे, तो मददगारों को सामने खड़ा देखकर उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े।
उन्होंने इस मदद के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि अपनों ने तो मुझे आज इस हाल पर छोड़ दिया था, लेकिन रायसेन फोर्ट क्लब के सदस्यों ने मुझे संकट की इस घड़ी में जो सहायता की उसे मैं जिंदगी भर कभी भुला नहीं सकती।
Published on:
23 Apr 2018 10:26 am
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