
bhojeshwar shiva temple madhya pradesh
भोपाल। मध्य भारत के सोमनाथ माने जाने वाले भोजेश्वर मंदिर के बारे में हमेशा ही लोगों की जिज्ञासा बनी रहती है। क्योंकि उल्लेख मिलता है कि इतना विशाल शिवलिंग और मंदिर एक रात में बनाया गया था, कहीं लिखा है कि यह पांडवों ने बनाया था। कई रहस्यों से भरे पड़े इस विश्व प्रसिद्ध धरोहर का कुछ समय पहले नया खुलासा हुआ था। इसमें वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि यह हजारों साल पुरानी एक ओमवैली है, जिसके बीच में बना है भोजपुर का शिवालय।
patrika.com शिवजी के प्रिय सावन के मौके पर आपको बताने जा रहा है ऐसे ही दिलचस्प शिवालयों के बारे में। पेश है 'अनोखे शिवालय' सिरिज के तहत भोजपुर के शिवमंदिर के बारे में यह तथ्य...।
वैज्ञानिकों की मानें तो रायसेन जिले में आने वाले भोजपुर शिव मंदिर ऐसे स्थान पर बना हुआ है, जो सैटेलाइट से देखने पर ओम के आकार का नजर आता है। इसे ओम वैली कहा गया है। ओम के भीतर ही प्राचीन भोजपुर मंदिर है और उसके सिरे पर बसा है भोपाल शहर। भूगोल विज्ञानियों का भी मानना है कि भोपालशहर स्वास्तिक के आकार में राजाभोज ने बसाया था।
मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक ठीक उसी वक्त ओम वैली का ग्राउंड डाटा लेते हैं, जिस वक्त सैटेलाइट रिसोर्स सेट-2 भोपाल शहर के ऊपर से गुजरता है। इस दौरान भोपाल, भोजपुर और ओमवैली की संरचना से जुड़ा हुआ डाटा लिया जाता है।
परिषद के अनुसार हर 24 दिनों के अंतराल पर ये सेटेलाइट भोपाल शहर के ऊपर से गुजरता है। दो साल पहले जब ऐसे ही सेटेलाइट से जब इन इलाकों को देखा जा रहा था तो वैज्ञानिकों को ओम वैली नजर आई थी। आसमान से दिखाई देने वाली ॐ वैली के ठीक मध्य में 1000 वर्ष प्राचीन भोजपुर का शिवमंदिर स्थापित है। मध्यप्रदेश में ओमकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के पास भी ऐसी ही प्राकृतिक ओमवैली नजर आती है।
वैज्ञानिकों की नजर में यह ओम वैली है। इसके सैटेलाइट डाटा केलिबरेशन और वैलिडेशन का काम मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को मिला है। परिषद की ताजा सैटेलाइट इमेज से ‘ॐ’ वैली के आसपास पुराने भोपाल की बसाहट और एकदम केंद्र में भोजपुर के मंदिर की स्थिति स्पष्ट हुई है।
पुरातत्वविदों के पास राजा भोज की विद्वता के तर्क हैं। परिषद के वैज्ञानिक बताते हैं कि डाटा केलिबरेशन और वैलिडेशन के लिए हमें ठीक उस वक्त ओम वैली का ग्राउंड डाटा लेना होता है, जिस समय सैटेलाइट (रिसोर्स सेट-2) शहर के ऊपर से गुजरे। यह सैटेलाइट 24 दिनों के अंतराल पर भोपाल के ऊपर से गुजरता है। इससे गेहूं की खेती वाली जमीन की तस्वीरें ली जाती हैं।
स्वास्तिक जैसा बसा है भोपाल
इतिहासकारों के मुताबिक भोज एक राजा ही नहीं कई विषयों के विद्वान थे। भाषा, नाटक, वास्तु, व्याकरण समेत अनेक विषयों पर 60 से अधिक किताबें भी लिख चुके थे। वास्तु पर लिखी समरांगण सूत्रधार के आधार पर ही भोपाल शहर बसाया गया था। गूगल मैप से वह डिजाइन आज भी वैसा ही देखा जा सकता है।
मैपिंग कैसे हुई यह रिसर्च का विषय
परमार राजा भोज के समय में ग्राउंड मैपिंग किस तरह से होती थी इसके अभी तक कोई लिखित साक्ष्य तो नहीं है, लेकिन यह रिसर्च का रोचक विषय जरूर है। सैटेलाइट इमेज से यह बहुत स्पष्ट है कि भोज ने जो शिव मंदिर बनवाया, वह इस ओम की आकृति के बीचोबीच स्थापित है।
ओंकारेश्वर भी है एक उदाहरण
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के आर्कियोलॉजिस्ट्स का मानना है कि ओम की संरचना और शिव मंदिर का रिश्ता अति प्राचीन है। देश में जहां कहीं भी शिव मंदिर बने हैं, उनके आसपास के ओम की संरचना जरूरी होती है। इसका सबसे नजदीकी उदाहरण है खंडला जिले का ओंकारेश्वर।
Updated on:
07 Jul 2020 12:24 pm
Published on:
07 Jul 2020 09:00 am
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