हालांकि नगर परिषद ने चार साल पहले एक दमकल खरीदी थी। नप के पास इसके पहले दो दमकलें मौजूद थीं। इनमें से एक दमकल खराब थी। मगर लापरवाही का आलम देखिए कि नगर परिषद चार साल में खराब खड़ी दमकल को नहीं सुधरवा पाई है। परिषद ने एक दमकल थाने में आगजनी की घटना होने के लिए खड़ी की है, जबकि दूसरी दमकल नगर में पानी सप्लाई करती है। पार्षद विजेंद्र गुर्जर व दीपू परमार का कहना है कि नगर में फायर स्टेशन बनना चाहिए व दमकलों की संख्या बढ़ाना चाहिए।
नप ने आग बुझाने के लिए दैनिक वेतन भोगियों को रखा हुआ है। कुछ माह पहले मुख्य बाजार में विष्णु विश्कर्मा की फर्जीचर की दुकान में आगजनी की घटना हो गई थी। डॉ. भूपेंद्र नागर का कहना है कि कर्मचारी आग पर पानी का प्रेशर भी नहीं मार पा रहे थे।
थाने लगाना है फोन
लोग नगर परिषद के लैंडलाइन नंबर पर फोन लगाते हैं, लेकिन कोई फोन उठाकर यह नहीं बताता है कि उसे थाने में फोन लगाना है। व्यापारी राविंद्र अग्रवाल का कहना है कि उसकी दुकान पर आग लगी, तो वह नगर परिषद फोन लगाते रहे। जब फोन नहीं उठाने पर वह परिषद कार्यालय पहुंचे, तो पता चला कि थाने फोन लगाना है।
दो साल से थाने में ही एक दमकल खड़ी हो रही है, यदि आगजनी की घटना होती है, तो थाने फोन लगाना होगा। हम थाने का नंबर भी जगह-जगह लिखवा देंगे।
– सतीश मालवीय, सीएमओ