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हमारे बच्चे कितने सुरक्षित!: छात्रा ने किया सवाल तो मैडम ने छड़ी से पीटा

बाल संरक्षण को लेकर कई तरह की योजनाएं और कई स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही है।

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Plaster in the hands of the child not even 24 hours

राजगढ़. बाल संरक्षण को लेकर कई तरह की योजनाएं और कई स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही है। लेकिन यह सब नाकाफी है। यही कारण है कि कभी बच्चे यौन शोषण के शिकार हो रहे है तो कभी उन्हें आसानी से बाल श्रमिक बना दिया जाता है।

इतना ही नहीं कच्ची उम्र में ही उन्हें पढ़ाई के नाम पर पीटना भी बंद नहीं हुआ है। पिछले दो दिन में बच्चों से जुड़े कुछ मामले सामने आए। जिनमें बहुत कुछ सीख और कार्रवाई की जरूरत है।
पहला मामला
गुरुवार की शाम पांच बजे हाईवे पर दो बच्चों को चलती गाड़ी से फेंकने का मामला सामने आया था। जिसमें हरिसिंह नाम के बच्चे की मौत हो गई थी। वहीं महेश अभी भी अस्पताल में भर्ती है। जिसे दाहिने हाथ में बड़ा फैसला है। मामला इतना गंभीर होने के बावजूद बच्चे को जिला चिकित्सालय में भर्ती हुए 24 घंटे बीच चुके। लेकिन अभी तक बच्चे को प्लास्टर तक नहीं चढ़ाया गया। वहीं हाथ में अब सूजन बढ़ती जा रही है और दर्द के मारे बच्चा भी चींख रहा है। पूरे मामले को लेकर पुलिस ने भी बच्चे व उसके पिता के बयान ले लिए है। जिसमें बच्चे ने बताया कि उन्हें गाड़ी वाले ने मछली बाजार के पास से बैठाया था। लेकिन हम उसे गांव के पास गाड़ी रोकने के लिए चिल्लाते रहे। लेकिन उसने गाड़ी रोकने की जगह और तेज कर दी। जिसके बाद हम गाड़ी से कैसे गिरे। हमें भी याद नहीं। पुलिस ने वाहन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। लेकिन हाईवे पर हुई इस घटना का आरोपी अभी भी गिरफ्त से बाहर है।

दूसरा मामला
टांडी गांव में पढऩे वाली सपना पिता पांचूलाल नाम की बालिका के साथ स्कूल की ही टीचर परवीन ने लकड़ी की छड़ी से पिटाई कर दी। बालिका का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने मैडम से यह पूछ लिया कि प्रतिदिन स्कूल क्यों नहीं आती हो। ग्रामीणों ने कहा कि यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले टांडीखुर्द में भी वह एक बालिका की उंगली तोड़ चुकी है। शिक्षिका स्कूल नहीं आ रही है।

तीसरा मामला
एक होटल में काम करने वाला 14 वर्षीय बच्चा पिछले पांच दिन से लापता था। जहां पूरा परिवार उसकी गुमशुदगी को लेकर परेशान था। पुलिस ने भी शुक्रवार को बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। लेकिन घटना के बाद से उसकी तलाश शुरू की और वह जीरापुर के एक गांव में मिल गया। जहां चाइल्ड लाइन की टीम द्वारा उसकी काउंसलिंग की गई और उसे वापस अपने पिता के पास लाने की व्यवस्था की।