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विभाग नहीं करता कार्रवाई,चार गुना यात्रियों को बिठाया जाता ​है गाड़ियों में

यात्रियों से मनमना किराया तो वसूलने के बावजूद उनकी जान को जोखिम में डाला जाता है।

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Department does not take action

१ राजगढ़। खिलचीपुर के पपड़ेल मार्ग पर यात्री बस नहीं होने के कारण इस तरह छोटे वाहनों में होता है सफर।

राजगढ़। जिले के प्रमुख गांवो से तहसील मुख्यालयों तक सुरक्षित यातायात के लिए करीब चार साल पहले परिवहन विभाग ने 24 मार्ग तैयार कर इन पर बसों के संचलन के लिए परमिट जारी करने आवेदन मंगाए थे। लेकिर चार साल में एक भी बस आपरेटर ने इन मार्गो पर परमिट के लिए आवेदन नहीं किया।

अब तक चालू नहीं हो पाई
ऐसे में जिले के प्रमुख ग्रामीणों मार्गो में शामिल इन गांवो के बीच कोई भी वैध यात्री बस अब तक चालू नहीं हो पाई है। यहीं कारण है कि सुरक्षित यात्री वाहन नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों को अपना सफर बगैर परमिट के लोडिंग और अन्य निजीवाहनों से करना पड़ता है। जहां यात्रियों से मनमना किराया तो वसूलने के बावजूद उनकी जान को जोखिम में डाला जाता है।

चार गुना यात्रियों को बिठाया जाता है
दअरसल ग्रामीण मार्गो पर सुरक्षित यात्री वाहन नहीं होने के कारण ग्रामीणों की मजबूरी होती है कि वे उपलब्ध वाहनो में बैठकर अपनी यात्री पूरी करे। ग्रामीणो की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर कुछ लोगो ने अपने पुराने और खटारा निजी वाहनों यहां लगा रखा है। अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में इन वाहनों पर क्षमता से तीन से चार गुना यात्रियों को बिठाया जाता है।

हादसों के बाद सिर्फ कुछ दिन होती है कार्रवाई
अत्याधिक यात्रियों को भरकर चलने वाले इन वाहनों से पिछले कुछ सालों में ही कई बड़े हादसे हो चुके है जिनमें पचास से अधिक लोगो की जान जा चुकी है। वर्ष 2016 में राजगढ़ हिरनखेड़ी जा रहा एक ऑटो बस से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 15 लोगो की जान गई थी। इसके अतरिक्त पिपलोदी मार्ग,कालीपीठ मार्ग,

दुर्घटना की संभावना बनी रहती है
कालीतलईचाटूखेड़ा मार्ग, खिलचीपुर के पपड़ेल मार्ग, छापीहेड़ा मार्ग पर पिछले कई वर्षो में हुए हादसों में कई जाने गई है। हर बार हादसा होने के बाद परिवहन विभाग, यातायात पुलिस सहित प्रशासनिक अमला सक्रिय होता है। लेकिन कुछ दिन बाद फिर ग्रामीण यात्रियों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में हर समय दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।