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जिले की घुरैल पहाड़ी पर लगा मेला, उमड़ा आस्था का सैलाब

दो साल कोरोना के लगातार कैद रहने वाले लोग संक्रांति पर घुरैल पहाड़ी के दर्शन करने पहुंचे

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दो साल कोरोना के लगातार कैद रहने वाले लोग संक्रांति पर घुरैल पहाड़ी के दर्शन करने पहुंचे

जिले की घुरैल पहाड़ी पर लगा मेला, उमड़ा आस्था का सैलाब

ब्यावरा. सूर्य के उत्तरायण में पहुंचने पर मनाए जाने वाले मकर संक्रांति पर्व का उत्साह इस बार खासा रहा है। दो साल कोरोना के लगातार कैद रहने वाले लोग संक्रांति पर घुरैल पहाड़ी के दर्शन करने पहुंचे। बड़ी संख्या में तकरीबन एक लाख से अधिक लोग शनिवार को दर्शन के लिए पहुंचे। इस बार मेला भी विशेष तौर पर लगा है, जिसमें दूर-दराज से झूले, विभिन्न सामान की दुकानें सहित लोग जमा हुए हैं।
दरअसल, ज्योतिषज्ञों के अनुसार इस बार 14 और 15 जनवरी को दो दिन संक्रांति मानी गई है। इसी को लेकर घुरैल पहाड़ी पर विशेष तौर पर मेला सजाया गया है। भगवान पशुपति नाथ के दर्शन के लिए बड़़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। सुबह से ही लोगों की कतार लग गई। दोपहर के समय कतार बनाकर दर्शन करना पड़े। बताया जाता है कि कोरोना काल के पहले भी इतनी भीड़ यहां कभी नहीं देखी गई थी। इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु मेले का लुफ्त उठाने पहुंचे हैं।

सुठालिया क्षेत्र में पार्वती नदी के तट स्थित घोघरा घाट और घुरैल पहाड़ी का अपना ही महत्व है। यहां हर बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। घाट पर भी संक्रांति के उपलक्ष्य में विशेष मेला लगा हुआ है। यहां भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सुठालिया के नागरिकों का कहना है कि रविवार 15 जनवरी को यहां ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।
घोघरा घाट के साथ ही घुरैल पहाड़ी के आस-पास सुठालिया पुलिस ने पूरी सुरक्षा संभाली है। थाना प्रभारी मोहरङ्क्षसह मंडेलिया बताते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था का भी हमने पूरा ध्यान रखा है। अलग-अलग जगह हमारे जवान तैनात हैं। ट्रैफिक संभालने के लिए भी हमारी टीम की ड्यूटी लगाई गई है।

आज नगर में खूब उड़ेगी पतंग, और होगा गिल्ली डंडे का खेल
राजगढ़. जिले में मकर संक्रांति के पर्व का बड़ा महत्व है। यहां परंपरा अनुसार इस दिन गिल्ली डंडे का खेल बड़े ही उत्साह के साथ खेला जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से गिल्ली डंडे के साथ ही अब यहां पतंग उड़ाने का सिलसिला भी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि पहले पतंग मालवा क्षेत्र में कम उड़ाई जाती थी, लेकिन अब इसका क्रेज बढ़ गया है। गिल्ली डंडे या फिर पतंग उड़ाने की यहां कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें बच्चे से लेकर बड़े और महिलाएं तक भाग लेती हैं। इस दिन तिल और बेसन की लड्डू की प्रसादी का भी महत्व बताया है और एक-दूसरे को यह खिलाकर इस त्यौहार को खास बनाया जाता है।

मकर संक्रांति 2023 तिथि: वैसे तो हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है, लेकिन ज्योतिषि शास्त्रियों के अनुसार, इस बार सूर्यदेव शाम के समय मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस बार सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8:21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में साल 2023 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
दान पुण्य और स्नान का है महत्व
संक्रांति के दिन भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। इस शुभ दिन पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह माघ मास की प्रथम तिथि है। मकर संक्रांति पर सूर्य अपनी उत्तरायण या उत्तरायण यात्रा शुरू करता है। नतीजतन, उत्तरायण इस त्योहार का दूसरा नाम है। ङ्क्षहदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन स्नान, दान पुण्य का बड़ा महत्व होता है और इस दिन सूर्यदेव की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है।