
Hariom Nagar made the supreme sacrifice at the age of just 22- image social media
Hariom Nagar - मातृभूमि की रक्षा करते हुए ही प्राण निकल जाएं- हर सैनिक स्वयं से यह वादा करता है। देश के लिए शहादत को सबसे बड़ा त्याग माना जाता है। एमपी के हरिओम नागर ने तो महज 22 साल की उम्र में ही देश के लिए यह सर्वोच्च बलिदान कर दिया। राजगढ़ के रहनेवाले प्रदेश के इस लाल को ड्यूटी के दौरान ही बर्फ के पहाड़ ने लील लिया। जम्मू कश्मीर के लेह में अचानक बर्फ का पहाड़ पिघला और वहां तैनात युवा सैनिक हरिओम नागर उसमें दबकर शहीद हो गए।
राजगढ़ के टूटियाहेड़ी गांव में जहां मातम पसरा है वहीं लोगों में दुख के साथ गर्व का भाव भी देखा जा रहा है। यह शहीद हरिओम नागर का पैतृक गांव है जहां उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने की तैयारी चल रही है। उनकी पार्थिव देह को भोपाल से ब्यावरा होकर टूटियाहेड़ी तक लाया जा रहा है।
शहीद हरिओम नागर के अंतिम दर्शन के लिए इस छोटे से गांव में लोगों की भीड़ लग गई है। राजगढ़ के सारंगपुर के लीमा चौहान थाना क्षेत्र के गांव टूटियाहेड़ी के निवासी अपने लाल की शहादत पर गर्व जता रहे हैं।
हरिओम के पिता दुर्गाप्रसाद नागर को भी अपने बेटे पर नाज है। कम उम्र में ही युवा बेटे को यूं अचानक खो देना दुखों का पहाड़ टूट पड़ना जैसा माना जाता है पर दुर्गाप्रसाद गर्व की भावना से भी भरे हैं। आंखों में आंसू लिए वे बोल रहे हैं— मुझे मेरे बेटे की शहादत पर गर्व है…पिता दुर्गाप्रसाद बोले कि मुझे गर्व है कि देश की रक्षा करते हुए हरिओम की जान गई …
दुर्गाप्रसाद नागर गांव में खेती करते हैं और जबकि उनका एक और बेटा दिल्ली में है। उन्होंने बताया कि हरिओम को शुरु से ही सेना में जाने की ललक थी। खास बात यह भी है कि हरिओम नागर को भारतीय सेना में गए अभी महज 14 माह ही हुए हैं।
गांववालों ने बताया कि हरिओम नागर के निधन की सूचना रविवार देर रात को मिली थी। राजगढ़ पुलिस ने परिवार को यह जानकारी दी और कुछ ही देर में पूरे गांव में यह खबर फैल गई। पुलिस ने बताया कि अचानक बर्फ के पहाड़ के पिघल जाने से ड्यूटी कर रहे हरिओम नागर के साथ यह हादसा हुआ। उनके दो अन्य साथी भी शहीद हुए हैं, वहीं एक की जान बचा ली गई है।
Updated on:
21 Jul 2025 07:18 pm
Published on:
21 Jul 2025 06:47 pm
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