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आवास में गड़बड़ी पर सीईओ, सरपंच सचिव पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

ग्राम पंचायत आगर में अपात्र को जारी कर दिया था आवास, एक ही नाम के दूसरे व्यक्ति को गलत ढंग से दिलवा था लाभ

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आवास में गड़बड़ी पर सीईओ, सरपंच सचिव पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

ब्यावरा. भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए देश में भले ही सख्त से सख्त कानून बना दिए जाए, लेकिन जिम्मेदार अफसर गड़बड़ी करने से नहीं चूकते। तमाम प्रकार के सख्त कानून का भी उन्हें डर नहीं होता और धड़ल्ले से भ्रष्टाचार करने में लगे रहते हैं।
ब्यावरा जनपद की आगर पंचायत में अपात्र हितग्राही को पीएम आवास का लाभ देने के मामले में न्यायिक दंडाधिकारी ने सीईओ आरके मंडल, सरपंच आनंदीलाल जाट, सचिव मनोहर दांगी (40) और हितग्राही भगवान सिंह पिता हरिसिंह राजपूत (52) निवासी आगर के खिलाफ धारा-420 और 120-बी के तहत कोर्ट में मामला दर्ज किया है।

मामले में निजी परिवाद भगवानसिंह पिता धनसिंह कुशवाह (35) निवासी आगर और संजय जाट ने दायर किया था। न्यायाधीश ने प्रकरण दर्ज करते हुए गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिया है। आगर ही नहीं जिलेभर में ऐसे कई मामले हैं जहां अपात्र हितग्राहियों को आवास जारी कर दिए गए। कइयों की शिकायत जनपद और जिलास्तर पर धूल खा रही हैं।

खास बात यह है कि जिला और जनपद स्तर के अफसर भी इन पर कार्रवाई करने में रुचि नहीं दिखाते। जरूरतमंद और पात्र हितग्राहियों को सेक-2011 और सर्वे का आधार बताकर भाग देते हैं। देश में पीएम आवास में अव्वल आने वाले जिले में गड़बडिय़ों की लाइन लगी है, लेकिन कोई जांच करने में रुचि नहीं दिखाता। जिलेभर में बिल्डिंगधारी और अपात्र ऐसे कई लोग हैं जिन्हें पीएम आवास का लाभ मिला है।

प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री से भी करेंगे शिकायत
ब्यावरा ब्लॉक सहित जिलेभर में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव से करेंगे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन जिपं सीईओ और ब्यावरा जनपद में वर्तमान सीईओ के कार्यकाल की पूरी जांच की जाए। इसमें पूरी तरह निष्पक्ष जांच करने पर तमाम तरह के अन्य भ्रष्टाचार उजागर होंगे।

जीरापुर सीईओ पर भी हो चुका है केस
जिला और जनपद पंचायतों में गड़बड़ी का यह पहला मामला नहीं है, पहले भी कई जिम्मेदार अधिकारी इसमें लिप्त पाए जा चुके हैं। जीरापुर के तत्कालीन सीईओ के खिलाफ लोकायुक्त के निर्देश पर भ्रष्टाचार के मामले में धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। इसमें जीरापुर की बालाहेड़ा पंचायत में एक हितग्राही की मृत्यु के बाद भी उनके नाम का मस्टर रोल चढ़ाकर भुगतान निकालना पाया गया था। इसे लेकर तत्कालीन सीईओ राकेश शर्मा, सब-इंजीनियर बलराम शाक्य और सरपंच गंगाराम वर्मा, सचिव जगदीश शर्माके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया था।

सचिव को 20 हजार रुपए नहीं दिए तो आवास रोक दिया
परिवादी भगवान सिंह कुशवाह ने बताया कि पंचायत सचिव ने सेक में नाम आ जाने के बावजूद कहा कि मुझे 20 हजार रुपए दो तभी आवास का लाभ मिलेगा। हमें जनपद सीईओ को रुपए देना पड़ते हैं तभी राशि खाते में पहुंचती है। राशि नहीं दोगे तो लाभ नहीं मिल पाएगा। सचिव ने जिद करते हुए पात्र भगवानसिंह कुशवाह का लाभ अपात्र भगवानसिंह राजपूत को दिलवा दिया था।

पुलिस, प्रशासन ने मदद नहीं की तो कोर्ट ने लिया संज्ञान
मामले में फरियादी ने प्रशासन और पुलिस को कई बार अवगत करवाया,लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। उल्टा सभी मामले को दबाने में लगे रहे। फरियादी ने परेशान होकaर कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया। जिस पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया और परिवाद दायर कर लिया। इसके अलावा अन्य कई मामले जिलेभर में हैं जिन पर जिम्मेदार अधिकारी रुझान नहीं लेना चाहते।

इस तरह दे दिया था अपात्र को लाभ
आगर ग्राम पंचायत के भगवानसिंह कुशवाह के नाम का आवास सरपंच, सचिव, सीईओ ने मिलीभगत कर भगवानसिंह राजपूत को दे दिया था। जिसकी शिकायत भगवानसिंह ने सीईओ जिपं से लेकर तमाम वरिष्ठ अफसरों से की,लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। इसके बाद निजी परिवाद दायर करने पर कोर्ट ने खुद इसमें रुझान लिया।

इसके अलावा आगर में ही भूराजी पिता राधेलाल भिलाला को वर्ष-2013-14 में 70 हजार इंदिरा आवास के तहत मिल चुके हैं फिर भी 2017 में आवास दे दिया गया। साथ ही विष्णु पिता खुशीलाल को भी 45000 रुपए इंदिरा आवास के 2012-13 में मिल चुके हैं। बावजूद इसके वर्ष-2017 में फिर पीएम आवास का लाभ दे दिया गया। ऐसे कई मामले पंचायत में हैं, जिनमें 8 0 फीसदी ऐसे हैं जिनमें अपात्रों को लाभ दे दिया गया।

जिला और जनपद पंचायतों में ऐसे कई धांधलियों के मामले दबे हैं। जिनमें जपनद सीईओ, तत्कालानी जिला पंचायत सीईओ भी लिप्त हैं। तमाम तरह की गड़बडिय़ां तथ्यों के साथ साबित हो जाने के बावजूद अधिकारियों ने अमल नहीं किया उल्टा मामला दबा दिया। अब हम परिवाद लेकर हाईकोर्ट भी जाएंगे।
-संजय जाट, मुख्य परिवादी, ग्राम आगर

भ्रष्टाचार के खिलाफ संबधित पंचायत की शिकायत आला अफसरों से की गइ, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिसके लिए निजी परिवाद कोर्ट में पेश किया गया जो कि सही साबित हुआ। इसी आधार पर जनपद सीईओ, सरपंच, सचिव और अपात्र हितग्राही के खिलाफ कोर्ट ने धारा-420 और 120-बी के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
-महेश मेवाड़े, फरियादी पक्ष के अधिवक्ता, ब्यावरा