
102 बसों पर कार्रवाई फिर भी न ओव्हर लोडिंग रूकी, न फिट हुई बसें
राजगढ़। दो दिन पूर्व गुना के पास बस और ट्रक की टक्कर में दस लोगो की जान चली गई थी, और कई लोग मौत के मूंह में जाते जाते बचे। बताया जा रहा है बस में क्षमता से कहीं अधिक लोग सवार थे, जो हादसें की बड़ी वजह मानी जा रही है। गुना में हुई यह घटना पहली नहीं है। इसके पूर्व भी प्रदेश के कई हिस्सों में ओव्हर लोड और अनफिट यात्री बसों के कारण इस तरह के हादसे हो चुके है। इन हादसों के बाद शासन और परिवहन विभाग द्वारा आनन फानन में कार्रवाई शुरूआत तो की जाती है। जो थोड़े दिन चलने के बाद स्वत: ही बंद हो जाती है। विभाग की इस ढुलमुल कार्रवाई का ही नतीजा है कि जिले भी न तो यात्री बसों में ओव्हर लोडिंग रूक रही है, न ही बसों की फिटनेस में पर कोई ध्यान दिया जा रहा है।
हालत यह है कि जिले में पिछले एक माह में 102 बसों पर ओव्हर लोडिंग और फिटनेस संबंधी कार्रवाई हो चुकी है। इसके बावजूद न तो जिले में ओव्हर लोडिंग रूक पाई है न ही बसों की फिटनेश में इतना सुधार हुआ है कि उनके भरोसे यात्रियों को पूरी तरह सुरक्षित कहा जा सके। जिले के अधिकांश ग्रामीण मार्गो में दोडऩेवाली यात्री बसों और अन्य वाहनो में क्षमता से कहीं यात्री सवार रहते है। लेकिन परिवहन विभाग की कार्रवाई सिर्फ राजस्व वसूलने तक ही सीमित होकर रह जाती है।
इन मार्गो पर ओव्हर लोडिंग बड़ी समस्या
जिले में वैसे तो ऐसा कोई मार्ग नहीं है जहां ओव्हर लोडिंग की समस्या नहीं है। लेकिन जिले के राजगढ़ खिलचीपुर और जीरापुर के ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति यह है कि यहां दौडने वाले अधिकांश वाहन इस स्थिति में नहीं होते की उन्हें यात्री परिवहन के लिए सुरक्षित माना जा सके। इसके बावजूद यहां चल रहे बसों में जितने यात्री वाहनों के भीतर होते है उससे कहीं अधिक वाहनों के बाहर वैठकर ओर लटकर यात्रा करते रहते है। राजगढ़ के पिपलोदी मार्ग, कालीपीठ मार्ग, बगा फत्तूखेड़ी खिलचीपुर के पपड़ेल, छापीहेड़ा, बामनगांव मार्ग, जीरापुर के खारपा, परोलिया, गागोरनी ऐसे ही मार्ग है जहां यात्रियों को रोजना जान हथेली पर रखकर सफर करना पड़ता है।
रसूखदार बस मालिकों के साथ एजेंटों का दबदबा
जीरापुर, खिलचीपुर, राजगढ़, ब्यावरा में रसूखदार बस मालिकों दबदबा है। उनके साथ ही हर बस स्टैंड पर रहने वाले उनके एजेंट्स इस कदर हावी हैं कि उन्हें यात्रियों की सुरक्षा से कोई लेना-देना ही नहीं है। 32 सीटर के परमिट वाली बसों में दो गुना यात्रियों को ठूंस-ठूंसकर बैठाया जाता है, इसके बाद यात्रियों पर भी एजेंट्स हावी होते हैं। पूरे रूट पर जितने सीट की परमिट बसों की होती है उससे बिल्कुल अलग दौड़ती हैं। जिनमें न फस्र्ट एड बॉक्स होता है न ही इमरजेंसी गेट और खिड़की। भगवान भरोसे चलने वाली इन कंडम बसों को चालने में रसूखदार बस मालिकों का एकाधिकार है। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त इन लोगों को सिर्फ कमाई से मतलब है, यात्रियों की सुरक्षा का कोई ध्यान ये नहीं रखे। बस स्टैंड के एजेंट्स यात्रियों के फेर में खुद बसें ओव्हरलोडेड करवाते हैं।
इसलिए जिले में जारी है ओव्हर लोडिंग
- परिवहन विभाग द्वारा जिले में घोषित २४ ग्रामीण मार्गो पर आज तक नहीं उठा एक भी परमिट
- बिन परमिट इन मार्गा पर दौड़ते है अनफिट और पुराने वाहन
- ग्रामीण क्षेत्रो में यात्री वाहनों की कमी के कारण ग्रामीण भी नहीं करते अनफिट वाहनो का विरोध
- अनफिट और ओव्हर लोड वाहनों पर सिर्फ जुर्माना तक सीमित रहती है आरटीओ की कार्रवाई
- जिले के रसूखदारों की बसों पर नहीं होती कार्रवाई, ग्रामीणा मार्गे पर बसों की विभाग में जानकारी नहीं
- ग्रामीणो मार्गो पर दौडऩे वाली बसों के चलने और रूकने का स्थान शहरों के बाहर इसलिए प्रशासनिक अमले की नहीं पड़ती नजर।
ओव्हर लोड और अनफिट बसों को रोकने के लिए विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। इसी महीने में हमने करीब 102 बसों पर कार्रवाई करते हुए उनसे ८ लाख से अधिक का जुर्माना वसूला है। आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।
एच के सिंह जिला परिवहन अधिकारी
Published on:
23 May 2018 11:46 am
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