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स्कूलों की छुट्टियां, फिर भी रोज स्कूल आकर फूल खिला रहे बच्चे

स्कूलों में 15 जून तक ताले लगे हैं, इसके बावजूद राजगढ़ जिले में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां न सिर्फ बच्चे आते हैं, बल्कि वे यहां पढऩे के साथ ही फूल खिलाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

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स्कूलों की छुट्टियां, फिर भी रोज स्कूल आकर फूल खिला रहे बच्चे

स्कूलों की छुट्टियां, फिर भी रोज स्कूल आकर फूल खिला रहे बच्चे

राजगढ़. मध्यप्रदेश में 1 मई से सभी स्कूलों की छुट्टियां हो गई है, फिलहाल सभी स्कूलों में 15 जून तक ताले लगे हैं, इसके बावजूद राजगढ़ जिले में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां न सिर्फ बच्चे आते हैं, बल्कि वे यहां पढऩे के साथ ही फूल खिलाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, आश्चर्य की बात तो यह है कि बच्चों का भविष्य संवारने के लिए शिक्षक भी छुट्टी होने के बावजूद स्कूल पहुंच रहे हैं।

तंवरवाड़ क्षेत्र में जहां कई स्कूल ऐसे हैं, जिनमें नियमित स्कूल लगने के बावजूद न सिर्फ बच्चे बल्कि शिक्षक भी बहुत कम स्कूल जाते हैं। इसी क्षेत्र में कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में शिक्षा को ही नहीं बल्कि कई क्षेत्र में बढ़ावा दिया है। बात कर रहे हैं तंवरवाड़ के कराडिय़ा प्राथमिक स्कूल की। बच्चों को शिक्षा से कैसे जोड़ा जाए इसके लिए न सिर्फ स्कूल चलो अभियान के तहत बल्कि गर्मियों की छुट्टी में भी यहां पढ़ाने वाले शिक्षक लगातार प्रयास करते हैं। इसी का नतीजा है कि बच्चों में न सिर्फ शिक्षा का स्तर बेहतर हो रहा है। बल्कि स्कूल आने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।

विद्यालय को साफ एवं स्वच्छ रखने के साथ ही सुंदर बनाने के उद्देश्य शिक्षकों ने बच्चों के साथ मिलकर यहां एक बगिया तैयार की है। इसमें गर्मियों में भी फूल खिल रहे हैं, यह फूल या पौधे हमेशा यूं ही खिलते रहे इसके लिए यहां पढ़ाने वाले शिक्षक गर्मियों की छुट्टी में भी न सिर्फ खुद स्कूल जाते हैं, बल्कि
बच्चों को भी कुछ ऐसी प्रेरणा दी है कि वह स्कूल आकर उनके द्वारा लगाए गए पौधों में पानी डालते रहते हैं।

विस्थापित स्कूल में भी यही हाल
मोहनपुरा सिंचाई परियोजना डूब क्षेत्र में आने वाले गांव को राजगढ़ में पाटन रोड पर विस्थापित किया गया है। यहां जो स्कूल बनाया है उसमें विस्थापित परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। यहां भी शिक्षकों ने स्कूल को इस तरह सुंदर बनाया है की निजी स्कूल की ऐसे नहीं लगते। शिक्षकों की मेहनत के साथ अब बच्चे और उनके परिजन भी सहयोग कर रहे हैं, जिसका नतीजा है आज बड़ी संख्या में इस स्कूल में बच्चे पढऩे के लिए पहुंच रहे हैं।

पहले स्कूल में बच्चे मुश्किल से आते थे, लेकिन हमने उन्हें खेल-खेल में पढ़ाना शुरू किया उनके साथ घुल मिलकर उन्हें स्कूल की आदत डाली। अब छुट्टियों के दिनों में भी उनका मन पढ़ाई में लग रहा है, जो किताबें वितरित की गई हैं हम उन किताबों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का प्रयास अभी से कर रहे हैं। वही स्कूल की सुंदरता और हरियाली बनी रहे इसके लिए रोज गर्मियों के दिनों में भी पौधों में पानी डालते हैं।
-नरेंद्र जाधव, शिक्षक कराडिय़ा