
CG kar sevaks story: 34 साल पहले अयोध्या कार सेवा में खैरागढ़ के 13 लोग शामिल हुए थे। अपनी आंखों के सामने गोलीकांड को देखा था। तत्कालीन भाजपा नेता स्व. कोमल कोठारी की अगुवाई में शहर सहित ग्रामीण इलाकों से दर्जनभर से अधिक कार्यकर्ता कारसेवा के लिए अयोध्या पहुंचे थे।
स्व. कोठारी के साथ पूर्व नपा उपाध्यक्ष रामाधार रजक, पूर्व मंडल अध्यक्ष अनिल अग्रवाल, राजकुमार अग्रवाल सहित ग्रामीण क्षेत्र से कुछ युवक कारसेवा के लिए निकले थे। रामाधार रजक ने कारसेवा के दौरान तत्कालीन उप्र सरकार द्वारा बरती गई बर्बरता को याद करते बताया कि अक्टूबर 89 में स्व. कोठारी के नेतृत्व में विश्व हिंदु परिषद के प्रमुख अशोक सिंघल के निर्देश पर दुर्ग से सारनाथ ट्रेन से रवानगी हुई थी।
इलाहाबाद पहुंच वहां संघ कार्यालय में रूकने की व्यवस्था थी, लेकिन दूसरे दिन ही तत्कालीन उप्र सरकार की पुलिस ने भवन को घेर लिया था। सुबह भवन से पीछे दरवाजे से निकल कर कार्यकर्ता प्रतापगढ़ के लिए रवाना हो गए। रास्ते में वाहनों के साथ साधन मिलने के साथ पैदल यात्रा करते प्रतापगढ़ के एक मंदिर में रात्रि विश्राम कर सुबह फिर से पगडंडियों के सहारे निकले थे।
रात में दो बजे गोमती नदी नांव से पार कर दर्शननगर होते अयोध्या पहुंचे थे। जहां राघवजी मंदिर में डेरा जमाया था। मणिराम छावनी में ही सत्संग और परिचर्चा के साथ कार सेवा कार्यों का संचालन हो रहा था।
ट्रेन से उतरने नहीं दे रही थी पुलिस
रजक ने उस दौरान के विध्वंसक घटना को याद करते बताया कि कार सेवकाें के साथ गोलीकांड में मौत का आंकड़ा छुपाने उप्र सरकार लाशों को रेत की बोरी में बांधकर नदी में छोड़ रही थी। कारसेवा की घटना को ताजा करते रजक ने बताया कि फैजाबाद में वाराणसी होकर वापसी हुई तो वाराणसी में रेलवे पुलिस स्टेशन में किसी को ट्रेन से नीचे नहीं उतरने दे रही थी। यात्रा में राजनांदगांव के देवकुमार निर्वाणी, गातापार नाका के घनश्याम वर्मा, टोलागांव के बालकदास साहू भी शामिल थे।
अनहोनी की आशंका थी...
मणिराम छावनी पहुंचने पर वहां पहले से मौजूद स्व कोठारी अनिल अग्रवाल, आदि इंतजार करते खड़े थे, उन्हें गोलीकांड में अनहोनी की आशंका सता रही थी, लेकिन देखते ही गदगद होकर गले लगा लिया। दूसरे दिन सरयूनदी में स्नान के दौरान पानी में उतरते ही पानी के अंदर रेत की बोरी से बंधी लाशें लगातार टकरा रही थीं। इसके बाद भी बिना हिम्मत हारे सभी कारसेवक सकुशल वापसी में सफल हुए । 22 जनवरी को होने वाले अयोध्या के प्राणप्रतिष्ठा को लेकर रजक ने बताया कि 34 साल की मेहनत अब सफल हुई है। भगवान राम को उनका स्थान वापस मिला है।
खैरागढ़ से गए लोग इस दौरान बिछड़ गए थे
रजक ने बताया कि सत्याग्रह शुरू हुआ तो उमा भारती के साथ आगे बढ़े और हनुमानगढ़ी पार करने पर वहां पुलिस अश्रुगैस के गोले छोड़ रही थी। आंखों को बचाने चूना लगाकर आगे बढ़ने लगे तो गोली चलनी शुरू हो गई। कोठारी बंधु गुंबद तक पहुंचने के बाद शहीद हो गए। भीड़ तितर-बितर होने के बाद जानकी मंदिर में जाना पड़ा। शाम को माहौल शांत हुआ, तो रास्ता पूछते निकलकर मणिराम छावनी पहुंच गए। खैरागढ़ से गए लोग इस दौरान बिछड़ गए थे।
Published on:
18 Jan 2024 02:45 pm
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