
CG News: शासकीय दिग्विजय कॉलेज में वर्ष 1964 से 2001 तक वाणिज्य संकाय के प्रोफेसर रहे डॉ. आरएस खन्ना का 85 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। मृत्यु के बाद उनकी इच्छानुसार उनके परिजनों ने पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उनका देहदान कर दिया है।
पहले वे वाणिज्य संकाय का प्रोफेसर रहते हुए विद्यार्थियों को पढ़ाए, अब मेडिकल फील्ड के विद्यार्थी उनकी डेड बॉडी के सहयोग से मानव शरीर की संरचना के संबंध में पढ़ाई करेंगे। इस तरह वे अब एक साइलेंट टीचर की भूमिका निभाएंगे। मेडिकल कॉलेज अस्पताल से मिली जानकारी अनुसार आरएस खन्ना राजनांदगांव के ही निवासी हैं, जो दिग्विजय कॉलेज में वाणिज्य संकाय के प्रोफेसर थे। फिलहाल वे रायपुर में निवासरत थे।
वे आईजी विनीत खन्ना के पिता जी थे। बताया गया उनकी ईच्छा अनुसार उनके मृत्यु के कुछ देर पहले ब्रेन डेड होने पर परिजनों मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सूचना देकर देहदान संबंधी प्रक्रिया पूरी कराई। प्रोफेसर के परिजनों ने बताया कि उन्होंने मरणोपरांत देहदान करने की इच्छा जताई थी। उनकी ईच्छा के मुताबिक मरणोपरांत सोमवार को उनके देहदान की प्रक्रिया मेडिकल कॉलेज में पूरी कराई गई।
अब तक 30 से अधिक देहदान एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले फर्स्ट ईयर के विद्यार्थियों को मानव बॉडी की संरचना की पढ़ाई करनी होती है। विद्यार्थी प्रशिक्षण और शोध के लिए भी डेडबॉडी का उपयोग करते हैं। पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल को अब तक 30 से अधिक डेडबॉडी मिल चुकी है, जिसके सहयोग से यहां अध्ययनरत विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं। एक डेडबॉडी का उपयोग विद्यार्थी पढ़ाई के लिए एक से डेढ़ साल तक कर सकते हैं।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर अतुल देशकर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज और वहां पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संया बढ़ती जा रही है। इसके मुताबिक मेडिकल कॉलेज में डेडबॉडी नहीं होती। यह साल का पहला देहदान हुआ है। इसके सहयोग से विद्यार्थियों मानव शरीर की संरचना की पढ़ाई करेंगे। बॉडी के कुछ आर्गंस को विद्यार्थी संरक्षित भी रखते हैं, जो आने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई के काम में लाए जाते हैं। देहदान के लिए कॉलेज के एनाटॉमी विभाग प्रमुख व प्रोफेसर लोगों से अपील करते हैं।
मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर पवन जेठानी ने बताया कि कोई भी व्यक्ति मरणोपरांत देहदान की घोषणा कर सकता है। इसके लिए व्यक्ति को कैंसर, एचआईवी और कोविड संक्रमण जैसी बीमारी नहीं होनी चाहिए। देहदान के लिए एक घोषणा पत्र के साथ आधार कार्ड और फोटो देना होता है। साथ ही पुलिस को भी इसकी जानकारी देनी होती है। मरने के बाद डेथ सर्टिफिकेट जमा कराना होता है। देहदान करने वाले के परिजनों को अस्पताल से इससे संबंधित सर्टिफिकेट दिया जाता है।
Updated on:
04 Feb 2025 05:42 pm
Published on:
04 Feb 2025 05:40 pm
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