
Delhi Darwaja Chhattisgarh: शहर की एतिहासिक धरोहर हिंदी भवन के रखरखाव और सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है। शहर की सवा सौ साल पुरानी इस एतिहासिक ईमारत की चिंता कोई नहीं कर रहा है। जरूरत के अनुसार इसका उपयोग कर फिर उसे उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। यहां संभाग आयुक्त का कार्यालय लग रहा था।
यह कार्यालय रायपुर नाका के पास उद्योग एवं व्यापार केंद्र की नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो गया है। इसके पहले यहां नगर निगम का कार्यालय था। निगम कार्यालय डिपो भवन में शिफ्ट होने के बाद बहुत दिन तक खाली था। फिर संभाग कार्यालय बना। अब निगम के तीन कार्यालय यहां फिर शुरू हो गए हैं। लोककर्म विभाग, विद्युत विभाग और जनसंपर्क कार्यालय।
ब्रिटिश काल में 17 नवंबर 1911 को इसकी आधारशिला उस समय के छत्तीसगढ़ डिविजन कमिश्नर एफएटी फिलिप्स ने रखी थी। निर्माण 19 दिसंबर 1915 को पूर्ण हुआ। पूर्व में इसे दुर्ग का दिल्ली दरवाजा कहा जाता था। 19 दिसंबर 1915 को इसमें एक हाल का निर्माण किया गया। इसका उद्घाटन छत्तीसगढ़ डिविजन कमिश्नर एमएल लॉरी ने किया। फिर इसे एडवर्ड मेमोरियल हॉल के रूप में जाना जाने लगा। ऊपरी हॉल को 1915 से नगर पालिका का सार्वजनिक वाचनालय के रूप में उपयोग होने लगा।
नगर पालिका से दुर्ग नगर निगम बनने के बाद तत्कालीन महापौर गोविंद धींगरा के कार्यकाल में 1985 में इसे नगर निगम का मुख्यालय बनाया गया। पहले निगम का मुख्यालय गंजपारा में था। हिंदी भवन से वाचनालय को गंजपारा में शिफ्ट किया गया। इस ऐतिहासिक ईमारत का जीर्णोद्धार उसके मुलरूप में बिना किसी छेड़छाड़ के 2009 में तत्कलीन महापौर व सांसद सरोज पांडेय ने करवाया। उन्होंने व्यक्तिगत रूचि लेकर इस ईमारत को संवारा। उसके बाद से इस भवन के रखरखाव को लेकर कोई काम नहीं हुआ है। पुरात्तव विभाग भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।
संभाग आयुक्त कार्यालय दूसरी जगह शिफ्ट होने पर यहां से पंखा समेत कई सामानों को निकाला गया है। जिसके कारण जगह-जगह नंगे तार झूल रहे हैं। दाग धब्बे दिख रहे हैं। शहर में साइंस कालेज की कक्षाएं इसी हिंदी भवन में लगती थी। कॉलेज का भवन बनते तक कक्षाएं लगती रही। इसके बाद कई वर्षों तक यह भवन साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र भी रहा। दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति से जुड़े साहित्याकर अपनी साहित्यिक गतिविधियां इस भवन में सचालित करते थे।
अलग-अलग वर्ग के लोगों से बातचीत में अलग-अलग बातें सामने आई, लेकिन युवा वर्ग चाहते हैं हिंदी भवन में ई-लाइब्रेरी शुरू किया जाना चाहिए। इसका लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा।
महापौर धीरज बाकलीवाल ने कहा कि हिंदी भवन हमारे शहर की ऐतिहासिक धरोहर है। यह निगम को वापस मिल गया है, यह हमारी बड़ी उपलब्धि है। इसकी प्रॉपर देखभाल कर इस धरोहर का संरक्षण करेंगे। इस प्राचीन ईमारत का जरूरत के हिसाब के जनता की सुविधाओं को देखते हुए उपयोग किया जाएगा।
Updated on:
30 Nov 2024 06:53 pm
Published on:
30 Nov 2024 06:50 pm
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