
राजस्व और खनिज विभाग की कार्रवाई शून्य
राजनांदगांव / अंबागढ़ चौकी. इन दिनों वनांचल में अवैध ईंट भ_ों की बाढ़ सी आ गई है। क्षेत्र में राजस्व और खनिज विभाग की मेहरबानी कहो या अनदेखी जिसके चलते वनांचल में सैकड़ों स्थानों पर अवैध ईंट निर्माण जारी है जबकि ईंट बनाने पर्यावरण विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है। बिना अनुमति के ईंट बनाना गैरकानूनी है लेकिन ग्राम हाथीकन्हार, कोडूटोला, भड़सेना, आमाटोला, कोटरा, जोरातरई, चिल्हाटी, भर्रीटोला, दनगड़, रंगकठेरा में १०० से भी ज्यादा छोटे-बड़े ईंट भट्टों का संचालन अवैध रूप से किया जा रहा है।
अवैध ईंट भट्ठो से पर्यावरण को हो रहा नुकसान
अवैध ईट भट्ठों से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि राजस्व एवं जंगल की लकड़ी, पानी, मिट्टी, चोरी की बिजली का जमकर इस्तेमाल जमकर किया जा रहा है। इसके कारण लगातार भू जल स्तर गिरता जा रहा है। बताना लाजमी होगा कि कोहलाकसा में अवैध ईंट भ_ों का संचालन जोरो पर है जिन पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नही होने से अवैध र्इंट संचालकों के हौसले बुलंद है। राजस्व और खनिज विभाग के जिला स्तर तक के अधिकारियों की मिलीभगत के अंदेशों को नहीं नकारा जा सकता। क्योंकि धड़ल्ले से संचालित हो रहे ईंट भ_ा के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से अवैध ईट भट्ठों की संख्या बढ़ती जा रही है। अवैध ईंट भट्ठों पर विभाग की नजर नहीं तहसील कार्यालय अंबागढ़ चौकी लगे महज 8-10 किलोमीटर की दूरी पर ही अवैध भठ्ठा संचालित है और राजस्व विभाग आंखे मूंदकर बैठा है।
कार्रवाई नही होने से संचालकों के हौसले बुलंद
अवैध ईट भट्ठा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के अभाव में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ईंट ठेकेदार और राजस्व, खनिज और जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा नियमों का खुलेआम धज्जियां उड़ाते अनगिनत ईट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है साथ ही राजस्व को होने वाले आय का भी नुकसान हो रहा है। किसी अन्य विभाग की तो बात छोडि़ए खनिज विभाग ने भी कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं कर पाया है। ये लोग बड़े पैमाने पर ईंट का निर्माण कर शासकीय व निजी जमीन के खनन करने में लगे हुए हैं। जंगल से मुफ्त की लकड़ी से ईंट पकाया जाता है जिसके कारण प्रति हजार ईट तीन हजार रुपए में बेचकर मालामाल हो रहे हैं। र्इंट के अवैध कारोबार में राजस्व एवं खनिज विभाग का मौन रहना ही लोगों के समक्ष से परे है।
नियमों को दरकिनार कर हो रहा है ईंट भ_ा संचालित
वायु को प्रदूषित करने और जमीन की उर्वरा शक्ति को कम करने में ईंट भ_े महती भूमिका निभा रहे हैं। भ_ा प्रदूषण न फैलाए इसके लिए इनके संचालन का नियम काफी सख्त रखा गया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बगैर पर्यावरण सर्टिफिकेट के ईंट.भ_ों के संचालन पर रोक लगा रखी है। सख्ती के बावजूद ईंट भ_ा संचालक न पर्यावरण की चिंता कर रहे हैं और न ही सामाजिक सरोकार का निर्वहन किया जा रहा है। विकासखंड स्तर से जिला स्तर तक के अधिकारियों का उदासीन रहना संदेह के घेरे में है।
ईंट भ_ा चलाने के नियम
आबादी से 200 मीटर दूर होना चाहिए भ_ा, मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरूरी है, पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होनी चाहिए। ईंट भ_ा चलाने के लिए जिला पंचायत, प्रदूषण विभाग और पर्यावरण विभाग की अनुमति लेना जरूरी है। तय रहता है प्रदूषण का मानक एक ईंट भ_े से सामान्यत: 750 एसएमपी तक प्रदूषण होता है। इसको कम करने की कवायद जारी है। नई टेक्नोलॉजी से प्रदूषण को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर में स्थित सभी ईंट भ_ों को नई टेक्नोलॉजी से हाई ड्राफ्ट बनाने के निर्देश दिए थे। इनमें कोयले से पका कर ईंट बनाई जाती हैं जिससे सफेद धुआं आसमान में जाएगा और हाई ड्राफ्ट फैन कोयले की राख बनाएगा। इस विधि से भ_ा लगाने से हवा में केवल 250 एसएमपी तक प्रदूषण रह जाएगा।
शीघ्र होगी कार्रवाई
तहसीलदार अंबागढ़ चौकी, पीएल मंडावी ने कहा कि ईंट भट्ठों का निरीक्षण कर ही पता चल पाएगा कितने वैध है और कितने अवैध। ईंट भ_े अवैध पाए जाने पर जरूर कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
28 Feb 2020 05:00 am
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