
गोविंद साहू
Kargil Vijay Diwas 2024 News: लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर में स्थित कारगिल जिले के पोस्ट पर कब्जा जमा लिया था। इसमें कश्मीर के उग्रवादी भी शामिल थे। उस समय ये समझना मुश्किल था कि भारतीय पोस्ट पर कब्जा जमाने वाले पाकिस्तानी सेना थी या फिर आतंकवादी। ऐसे में इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में तैनात सूबेदार राजनांदगांव निवासी मेजर राजेश कुमार शर्मा की टुकड़ी को इसकी जानकारी जुटाने का टास्क मिला।
रिटायर्ड सूबेदार मेजर राजेश कुमार शर्मा बताते हैं कि उनके स्थानांतरण का आदेश आ चुका था, लेकिन वहां की स्थिति व उच्चाधिकारियों के आदेश का पालन करते हुए वे अपनी टीम के साथ द्रास सेक्टर पहुंचे। वहां कुछ स्थानीय लोगों की मदद से पता किया। सेक्टर में कब्जा जमाने वाली पाकिस्तानी सेना ही थी। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने पांच भारतीय जवानों की हत्या कर दी। जवानों को लगी गोलियों से भी स्पष्ट हो चुका था कि भारत की सीमा के सेक्टरों में पाकिस्तानी सेना का कब्जा हो चुका है।
भारतीय सेना रात में करती ऑपरेशनरिटायर्ड सूबेदार शर्मा ने बताया कि सेक्टर में पाकिस्तानी सेना के होने की पुष्टि होने के बाद केंद्र सरकार की अनुमति से इंडियन आर्मी ने रणनीति बनाकर आगे बढऩा शुरू किया। उस समय ऊंची पहाडिय़ों के सेक्टर पर बैठे दुश्मनों से लडऩा आसान नहीं था। बर्फीला क्षेत्र होने के कारण दुश्मनों को भारतीय सेना की गतिविधियों का आसानी से पता चल जाता था।
इस वजह से रात ऑपरेशन किया जाता था। भारतीय सैनिकों को दुश्मनों के साथ मौसम से भी लडऩा पड़ता था। हमारी सेना ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। एक तरफ से भारतीय सैनिक उन पर गोली-बारी करते थे, इसमें जैसे ही वे उलझते और दूसरी ओर से उन पर हमला कर दिया जाता था।
सूबेदार शर्मा बताते हैं कि इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था। इस लड़ाई की शुरुआत 3 मई 1999 को हुई और 26 जुलाई 1999 को भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। इस युद्ध में कुल 674 भारतीय जवान शहीद हुए थे और 1326 जवान घायल हुए थे। इन्हीं जवानों की वीरगाथा को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। भारत आज 25वां विजय दिवस मनाएगा।
चूंकि सूबेदार शर्मा का युद्ध शुरू होने से पहले ही वहां से स्थानांतरण आदेश जारी हो चुका था। ऐसे में घर से उनके कब लौटने का खत मिला, लेकिन उन्होंने बस इतना लिखा कि अभी बॉर्डर में सिचवेशन ठीक नहीं आप लोग धैर्य रखें मुझे कुछ नहीं होगा। वे बताते हैं कि ६ जुलाई के बाद वे राजस्थान जैसलमेर बॉर्डर पर लौट चुके थे।
Published on:
26 Jul 2024 09:12 am
बड़ी खबरें
View Allराजनंदगांव
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
