
महाशिवरात्रि, नागपंचमी और ऋ षि पंचमी को लगता है भक्तों का मेला
राजनांदगांव / डोंगरगांव. डोंगरगांव ब्लॉक मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम तिलईरवार में महादेव पहाड़ी जिसे स्थानीय भाषा में महादेव डोंगरी के नाम से जाना जाता है और इस पहाड़ी में भगवान शिवशंकर के सानिध्य में दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना है। बता दें कि यहां सैकड़ों वर्ष पुरानी महादेव की प्राचीन मूर्तियां भी है, वहीं विशेष मौके पर वैद्य समुदाय शिवशंकर का आशीर्वाद लेकर लोगों के इलाज के लिए यहां से जड़ी बूटी इकट्ठा करते हैं।
प्रकृति का अद्भुत और विहंगम दृश्य
महादेव पहाड़ी प्रकृति की गोद में और मैकल पर्वत श्रेणी के बीच में हैं, यहां का दृश्य बेहद ही मनोरम और तृप्त कर देने वाला है। वहीं भगवान शंकर का मंदिर आध्यात्मिक चेतना को जगाने वाला है। मंदिर के समीप से चारों ओर देखने पर प्रकृति का अलौकिक नजारा हर किसी को यहां तक दोबारा आने के लिए मजबूर कर देगा।
यहां पहंचने के हैं दो मार्ग
राजनांदगांव जिला मुख्यालय से नागपुर रोड में टप्पा होते हुए ग्राम तिलईरवार से पहाड़ी पर विराजित भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। ब्लॉक मुख्यालय डोंगरगांव से मारगांव, गिरगांव होते हुए माहुलझोपड़ी के समीप से इस महादेव डोंगरी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़ में है अलौकिक मंदिर
भगवान शिव की अलौकिक प्रतिमा प्रकृति की गोद में बसे छोटे से पहाड़ी में स्थित जहां पहले मां आदिशक्ति दुर्गा की दिव्य प्रतिमा स्थापित है, साथ ही ज्योति कक्ष भी है, यहां चैत्र व क्वांर नवरात्र ज्योति कलश प्रज्जवलित स्थापित होती है। समीप ही भगवान शंकर का मुख्य मंदिर है, जिसके आस पास का दृश्य अतुलनीय है। महाशिवरात्रि व नागपंचमी सहित अन्य अवसरों पर यहां भगवान शिव की पूजा होती है और लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने यहां पहुंचते हैं।
महादेव डोंगरी का क्षेत्र रहस्यों से भरा
अंचल के लोगों की मान्यता है कि महादेव पहाड़ में विराजे भगवान शंकर और मां शीतला से सभी मनोकामना पूर्ण होती है, विशेषकर संतान प्राप्ति के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। वहीं मंदिर के पुजारी नेमूचंद ने बताया कि भगवान शिव की प्रतिमा और महादेव डोंगरी का क्षेत्र रहस्यों से भरा है और जिसका अनुभव वे हमेशा करते हैं।
पूरी पहाड़ी जड़ी बूटियों का है खजाना
क्षेत्र के वैद्य महेश गंजीर ने बताया कि महादेव पहाड़ी में बड़ी मात्रा में दुर्लभ प्रजाति के पेड़ पौधे और जड़ी बूटियां उपस्थित है, इनकी जानकारी जिन्हें भी है वहां से अपने रोगों को ठीक करने के लिए जड़ी-बूटी ले जाते हैं। वहीं नाग पंचमी और ऋषि पंचमी के समय भी विशेष तौर पर वैद्य समुदाय यहां पहुंचता है। क्षेत्र के ग्रामीण कार्तिक मंडावी सहित अन्य ने बताया कि यहां की जड़ी बूटियों को बेचकर भी अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। इस पहाड़ी में मंदिर के समीप मैदान में बहुत ही दुर्लभ शंखपुष्पी का पौधा देखने को मिला, जहां सफेद और नीला शंखपुष्पी जो दिमाग तेज करने के लिए दवा के रूप में उपयोग किया जाता है।
पर्यटन और शोध की है प्रबल संभावनाएं
महादेव पहाड़ी अपने आप में ऐसे बहुत से रहस्य छुपाए रखा है, जहां शोध की आवश्यकता है और नई नई जानकारियां निकलकर सामने आएंगी। वहीं ऊपर पहाड़ी से दिखने वाला दृश्य बहुत ही मनोरम है और मंदिर के आसपास बड़ा मैदानी इलाका है जहां उद्यान और पानी की व्यवस्था हो जाए, तो एक अच्छा पर्यटन स्थल साबित होगा। मिली जानकारी के अनुसार पानी की परेशानी को देखते हुए स्थानीय विधायक के द्वारा इसकी व्यवस्था कराने की बात कही है।
प्रकृति का है अद्भुत नजारा
महादेव डोंगरी नाम से ही प्रतीत होता है, भगवान शंकर जहां विराजते हैं वहां का दृश्य अलौकिक ही होगा, इसका साक्षात प्रमाण यह पहाड़ी है। इस स्थल पर एक शिला भी है जिस पर भरी गर्मी में बैठने पर भी शीतलता का एहसास होता है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार महादेव पहाड़ी में एक गुफा है जहां प्राचीन समय में महादेव की पूजा-अर्चना होती थी और नगाड़े बजाए जाते थे। जिसके प्रमाण आज भी हैं। कुछ का मानना है कि अब गुफ ा का द्वार अब संकरा हो चुका है, जिससे अंदर जा पाना मुश्किल होता है।
Published on:
21 Feb 2020 05:01 am
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