
घटिया क्वालिटी के लिफ्ट की खामियां छिपाने कंपनी कर रही इस तरह का बहाना ...
राजनांदगांव. मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में १२ करोड़ रुपए की लागत से बने मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में करीब २० लाख रुपए की लागत से लगे लिफ्ट में बार-बार खराबी आने से मशीन की क्वालिटी पर सवाल उठने लगा है। लिफ्ट को आमेगा कंपनी द्वारा लगाई है। रविवार रात को अचानक फिर खराबी आने पर सुधार के लिए आए कंपनी के इंजीनियर हेमसिंग ने ट्रांसफार्मर से पावर सप्लाई अधिक होने के कारण खराबी की बात कही। इतनी महंगी मशीन में वोल्टेज को संतुलित करने के लिए किसी प्रकार का इंस्टुमेंट न होना भी इसकी क्वालिटी पर सवाल उठा रहा है।
ज्ञात हो कि रविवार रात बिजली पावर सप्लाई अधिक होने के कारण लिफ्ट में तकनीकी खराबी आ गई। इस दौरान लिफ्ट में एक नवजात बच्ची प्रसूता व अन्य परिजन थे, जिनकी सांसे अटक गई थी। दो घंटे की मशक्कत के बाद लिफ्ट में फंसे लोगों को बाहर निकाला गया। इस दौरान यहां लिफ्ट को संचालित करने वाले गार्डों की लापरवाही सामने आई। लिफ्ट में मरीजों को लाने ले जाने के लिए तैनात गार्ड मौजूद नहीं थे। वहीं इस तरह की इमरजेंसी स्थिति के दौरान उपयोग किए जाने वाले मास्टर की (चाबी) का भी पता नहीं था। इसी वजह से रेस्क्यू करने में दो घंटे का समय लग गया।
संतुलित करने का सिस्टम होना चाहिए
सुधार के लिए पहुंचे इंजीनियर ने बताया कि लिफ्ट को चलाने के लिए ४२० से ४४० वोल्ट की जरूरत है। इससे अधिक या कम होने पर मशीन में खराबी आ सकती है। रविवार रात भी यही हुआ था, लेकिन ट्रांसफार्मर से अनुबंधित बिजली सप्लाई तो आएगी ही। यदि ठंड के समय रात में खपत कम होती है, तो वोल्ट तो बढ़ेगा और गर्मी के दिनों में यह कम हो सकता है। इस स्थिति में मशीन में वोल्ट को संतुलित करने का सिस्टम होना चाहिए।
दो बार आ चुकी है खराबी
दो साल पहले लगे लिफ्ट में दो बार तकनीकी खराबी आ चुकी है। पिछली बार भी मरीज व परिजन लिफ्ट में फंस गए थे। इंजीनियर की माने तो ट्रांसफार्मर से बिजली सप्लाई को नियंत्रित करने की जरूरत है, नहीं तो लिफ्ट में बड़ी समस्या आ सकती है।
पत्र लिखा जाएगा
मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक ने कहा कि लिफ्ट में सुधार करा लिया गया है। कंपनी को स्पेलाइजर लगाने के लिए पत्र लिखा जाएगा। ताकि आने वाले समय में इस तरह की आफत से सामना न करना पड़े।
Published on:
20 Nov 2019 09:32 am
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