
हद है... पढ़ाई छोड़ बच्चों से घरेलू कार्य करा रहे हैं।
राजनांदगांव / कौड़ीकसा. सरकार आदिवासी के हितों के लिए योजनाएं संचालित करती है। जिसमें स्वास्थ व शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देती है, ताकि आदिवासी बच्चे भी शिक्षित होने के साथ समाज व राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे। लेकिन सरकार के मंसूबों पर कैसे पानी फेरते है, उनके मातहत अधिकारी व कर्मचारी, इसका स्पष्ट उदाहरण देखने को मिला है जिला मुख्यालय में संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालय राजनांदगांव में।
पढ़ाई तो नहीं पर खाना बनाने से लेकर केटरर्स का प्रशिक्षण दिया जा रहा
आदिवासी बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से आवासीय विद्यालयों की स्थापना की जाती है, उन विद्यालयों में पालक अपने बच्चों के भविष्य का सपना संजाए विद्यालय भेजते हैं कि बालक पढ़ लिखकर घर परिवार का नाम रोशन करे, लेकिन विद्यालयों में बच्चों का शोषण हो रहा है। आवासीय विद्यालयों में पढ़ाई तो नहीं पर खाना बनाने से लेकर केटरर्स का प्रशिक्षण दिया जाता है ऐसा प्रतीत होता है। विद्यालय केम्पस के अंदर क्या होता किसी को पता नहीं चल पाता, यह तस्वीर खुद बयां कर रही है। यह दृश्य है जिला मुख्यालय में संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालय राजनांगांव के प्राचार्य उपेन्द्र देवांगन के गृह प्रवेेश का। एकलव्य विद्यालय में अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राएं जब शीतकालीन अवकाश पर घर पहुंचे तब अपने पालको से हाल ए दास्तां बताए। तस्वीर उपलब्ध कराते हुए नाम न छापने के शर्त पर पालकों ने कहा कि हम अपने पाल्यों को विद्या प्राप्त करने के लिए भेजे है न कि रसोई का काम करने के लिए।
एक मात्र रसोइया के साथ भिड़ाया बच्चों को
छात्रों के वाक्यों को पालकों ने बताया कि मात्र एक रसोईया था आटा गुथने सब्जी काटने से लेकर सलाद बनाने का काम छात्रों से कराया गया। पालकों का कहना था कि प्राचार्य को गृह प्रवेश के अवसर पर प्रीति भोज देना ही था तो दिहाड़ी मजदूर बुलाकर काम लेना था। अपने चंद पैसे बचाने के लिए बच्चों से पढ़ाई के बदले केटरर्स का काम करवाकर उनका शोषण किया गया। पालकों के मन में थोड़ा खामोशी भी था क्योंकि उनके बच्चे वहीं पढ़ाई कर रहे है। बच्चों पर कोई कार्यवाही न कर दे लेकिन उनके मन में एक प्रश्न भी उठ रहा था कि आदिवासी विकास विभाग व जिला प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही की जावेगी?
विवादित प्राचार्य अपने कार्यकाल में दो बार हो चुके निलंबित
ज्ञात हो कि प्राचार्य उपेन्द्र देवांगन जिले में विवादित रहे है तथा अपने कार्यकाल में दो बार निलंबित हो चुके है। जानकारी तो यह भी मिली है कि राष्ट्रीय संगीत उत्सव राजस्थान राज्य के जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने गई छत्तीसगढ़ राज्य दल का प्रमुख बनाया गया था इनके नेतृत्व में टीम गई थी। वहां पर भी अपने कार्यशैली के कारण सुर्खियों में रहे थे जिसकी शिकायत राज्य स्तर के अधिकारियों से भी गई इनकी पुष्टि दल के साथी व छात्र छात्राओं से भी की जा सकती है।
अधिकारियों को अवगत कराया जावेगा
सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग राजनांदगांव एमएल देशलहरे ने कहा मुझे इस संबंध कोई जानकारी नहीं है, विद्यार्थियों से रसोईया का काम लिया है तो गलत है, शिकायत के आधार पर कार्रवाई के लिए अधिकारियों को अवगत कराया जावेगा।
Published on:
11 Jan 2020 08:53 am
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