
देववाड़वी बना जिले का पहला सामुदायिक वन संसाधन अधिकार गांव, अब सरहद के जंगलों की भी होगी सुरक्षा ...
राजनांदगांव. जिले के सुदूर अंचल अम्बागढ़ चौकी जंगल से घिरे गाँव देववाड़वी को कलेक्टर, वन मंडल अधिकारी एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ने आज जिले का पहला सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र सौपा। अधिकार पत्र सौपते हुए कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने कहा की यह एक तरह से वन में निवासस करने वाले आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों से लिए एक नए युग की शुरूवात है क्योंकि यह अधिकार ग्राम वासियों को जंगल को बचाने के साथ-साथ उसका प्रबंधन करने का अधिकार देता है।
वनमंडल अधिकारी बीपी सिंह ने इस सराहनीय प्रयास के लिए ग्राम वासियों को विशेष रूप से बधाई दी एवं उम्मीद जताई की देववाडवी राजनांदगांव जिले के अन्य गाँव के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करेगा और अपने जंगल और जंगली जानवरों को सुरक्षित रखते हुए उन्हें बढ़ाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यह अधिकार गांव को एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी देता है की वह अपने गाँव के जंगल में समिति बना कर स्वयं से संभाले।
सुधारने की दिशा में प्रयास
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास देशलहरे ने बताया की वन अधिकारों की मान्यता कानून आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत बन निवासियों के प्रति अंगे्रजों द्वारा किये गए ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने की दिशा में एक प्रयास है। इसके माध्यम से जंगल के सभी अधिकार ग्राम सभा को मान्य किये जाने है जिससे वह जंगल को पहले जैसे अपना समझते हुए उससे अपनी आजीविका चला सके। एक तरफ से यह से यह ग्राम सभा को जंगल का मालिकाना हक प्रदान करता है।
वन संसाधन अधिकार किया मान्य
उल्लेखनीय है कि वन अधिकारों की मान्यता कानून 2006 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में १२ हजार से अधिक गांव को सामुदायिक वन संसाधनों पर अधिकार के लिए मान्यता दी जानी है। पूर्व के वर्षो में जिला में वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के अंतर्गत सामुदायिक अधिकार एवं व्यक्तिगत अधिकार मान्य किये गए है परंतु स्वाधीनता दिवस पर राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा पहल करते हुए बार राजनांदगांव जिले के गांव देववाडवी को वन अधिकारों की मान्यता अधिनियत के अंतर्गत जिला का प्रथम सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्य किया गया है।
मिला अधिकार
इस अवसर पर ग्राम देववाड़वी के वन अधिकार समिति के अध्यक्ष बहादुर घावड़े ने बताया की ग्रामवासियों की इच्छा शक्ति और जागरूकता के कारण ही यह अधिकार गांव वालों को मिला है। उन्होंने कहा कि पहले जब उन्होंने गांव में यह दावा करने की बात रखी तो बहुत दिक्कत आई क्योंकि कानून की भाषा और उसमें दावा करने की प्रक्रिया को समझना कठिन था, लेकिन लगातार कोशिश करते रहने के कारण धीरे-धीरे उन्हें सब कुुछ समझ आया औैर ग्रामवासियों ने दावे की सारी प्रक्रिया पूरी की, उसी का यह परिणाम है कि जिला प्रशासन के सहयोग एवं तत्परता से आज उनको यह अधिकार पत्र मिल रहा है।
गांव का कुल क्षेत्र 667.657 हेक्टेयर
गांव के पंच राजू मांझी ने दावा की प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हुए बताया कि दावा तैयार करने के लिए ग्रामवासियों ने सबसे पहले अपनी गाँव की पारंपरिक सरहद का नजरी नक्शा तैयार किया, उसके बाद ग्राम के बीट गार्ड, पटवारी, पंचायत सचिव तथा गांव की सीमा से लगे सभी गांवों के बुजुर्गो की उपस्थिति में गंव के पारंपरिक सीमा का ग्लोबल पोजिशनिंग (जीपीएस) के माध्यम से सत्यापन किया गया जिसमें गांव का कुल क्षेत्र ६६७.६५७ हेक्टेयर आया। इतने क्षेत्र के भीतर के सभी वन संसाधन पर ग्रामवासियों ने ग्राम सभा कर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार का दावा किया।
ग्रामवासियों ने अधिकार पत्र मिलने पर जाहिर की खुशी
साथ में आए ग्राम के अन्य पुरूष एवं महिलाओं ने अधिकार पत्र मिलने पर खुशी जाहिर की और कहा कि जिला में अधिकार पत्र प्राप्त करने वाला पहला गांव होने पर वे गर्व महसूस कर रहे है। उन्होंने प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उनके गांव में प्रक्रिया सीखने के लिए जिले के सभी ग्राम के निवासी आमंत्रित है और वे उनके गांव में भी अधिकार की प्रक्रिया करवाने के लिए अपना सहयोग प्रदान करेंगे।
Published on:
21 Aug 2020 09:03 am
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