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छात्रावासों और आश्रमों में रहने वाले बच्चों को आगे बढ़ाने निरीक्षण के तरीके को बदलने की जरूरत …

छात्रावासों और आश्रमों में लगेगी बायोमैट्रिक मशीन

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There is a need to change the way of inspection to pursue children living in hostels and ashrams ...

छात्रावासों और आश्रमों में रहने वाले बच्चों को आगे बढ़ाने निरीक्षण के तरीके को बदलने की जरूरत ...

राजनांदगांव. कलक्टर जयप्रकाश मौर्य ने जिले के छात्रावास-आश्रमों की निरीक्षण प्रक्रिया में बदलाव लाने पर जोर दिया है। मौर्य ने छात्रावास-आश्रमों के निरीक्षण के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अभी तक निरीक्षण व्यवस्था एक परंपरागत तरीके पर चल रही है। निरीक्षण के लिए प्रपत्र भी परंपरा अनुसार है। छात्रावासों और आश्रमों में रहने वाले बच्चों को सही मायने में आगे बढ़ाने के लिए निरीक्षण के तरीके को बदलना चाहिए।

मौर्य ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों को पढ़ाई के लिए समान अवसर नहीं मिल पाता। इन बच्चों को शिक्षा प्राप्त कर आगे बढऩे के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से छात्रावास और आश्रम खोले गए हैं। मौर्य ने कहा कि नोडल अधिकारियों को निरीक्षण के लिए नये नजरिए और नई सोच के साथ अपने दायित्वों को पूरा करना होगा। छात्रावास-आश्रम में बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के लिए बेहतर अवसर मिले। निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को अधिक संवेदनशील हो कर उनकी पढ़ाई-लिखाई के स्तर पर निरीक्षण प्रक्रिया को केन्द्रित करना चाहिए।

बच्चों के समुचित विकास पर ध्यान देना जरूरी

नोडल अधिकारी निरीक्षण के लिए जाएं तो छात्रावास-आश्रम में पर्याप्त समय दें। औपचारिक निरीक्षण से बच्चों के शैक्षणिक स्तर में कोई सुधार नहीं आएगा। छात्रावासों में मेस समितियों को सक्रिय किया जाए। नोडल अधिकारी कभी-कभी बच्चों के अभिभावकों की बैठक लें। बच्चों को भविष्य के जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए पढ़ाई, खेल-कूद के अलावा अन्य रचनात्मक गतिविधियों से जोडऩे की जरूरत है। बच्चों के व्यक्तित्व के समुचित विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

नोडल अधिकारी नियुक्त करने के दिए निर्देश

मौर्य ने कहा कि छात्रावास-आश्रमों के बच्चों को सफल जीवन जीने के लिए व्यवहारिक तौर-तरीके सिखाने की जरूरत है। इनमें अनुशासन हर हाल में होना चाहिए। श्री मौर्य ने कहा कि परीक्षा में हर छात्रावास और आश्रम के 60 प्रतिशत बच्चे 60 प्रतिशत से अधिक अंक लाएं। इस तरह से हमारी कोशिश होनी चाहिए। कोई भी बच्चा फेल न हो। छोटे-छोटे प्रयासों से बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। मौर्य ने कहा कि छात्रावास-आश्रमों के नोडल अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले निरीक्षण की समीक्षा संबंधित एसडीएम नियमित रूप से करें। उन्होंने हर छात्रावास और आश्रम के निरीक्षण के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए। कलक्टर ने कहा कि नोडल अधिकारी दो-दो माह के अंतराल में 6 माह में 3 बार निरीक्षण का रिपोर्ट देंगे।

ईमानदारी से काम करने की नसीहत

कलक्टर मौर्य ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास विभाग के अधिकारियों को छात्रावासों और आश्रमों में अधीक्षकों की हर दिन उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमैट्रिक मशीन लगाने के लिए कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिस समय बच्चों को अधीक्षक की जरूरत होती है उस समय उनकी उपस्थिति निश्चित रहनी चाहिए। मौर्य ने कहा कि हर विभाग में विभागीय अधिकारी-कर्मचारी ही अपने उत्तरदायित्वों को इमानदारी से पूरा करके बेहतर बदलाव ला सकते हैं। प्रशिक्षण में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास देशलहरे, एसडीएम भी उपस्थित थे।