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तहसील क्षेत्र में बगैर अनुमति के फिर कटा जीवनदायनी पेड़

बड़े बरगद का ठूंठ रह गया है बाकी प्रशासन को कोई दोषी नहीं मिला

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तहसील क्षेत्र में बगैर अनुमति के फिर कटा जीवनदायनी पेड़

राजनांदगांव / डोंगरगांव. नगर के मटिया वार्ड में एक और हरे-भरे बरगद पेड़ को बेवजह काट दिया गया है। इस बात की जानकारी होते ही इस मामले में अधिकारिक जांच-पड़ताल तो जारी हुई किन्तु राजनीतिक दबाव के चलते पेड़ काटने वालों को अधिकारी के द्वारा दोषी करार करने से इंकार कर दिया गया है। मामले मे वार्डवासियों ने भी कार्यवाही की मांग की है, पर इस मामले में पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है, जबकि इस हरे-भरे पेड़ को काटने का कोई अनुमति भी जारी नहीं की गई थी।

काट दिया हरे भरे पेड़ को
ज्ञात हो कि उक्त घटना की जानकारी विगत दो-तीन दिनों में ही हुई थी, जिसकी सूचना तहसीलदार व एसडीएम को दी गई थी। वहीं नगर पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार उक्त स्थल पर मंच निर्माण के लिए टेंडर निकला था, जो निरस्त हो चुका था और फिलहाल अभी वहां कुछ भी नहीं बन रहा है। बावजूद इसके हरे-भरे पेड़ को लगभग पूरी तरह से काट दिया गया है। गौरतलब है कि जहां जीवनदायनी बरगद का पेड़ था, जो लोगों को छाया और राहगीरों को आश्रय प्रदान करता था, उस स्थल को ही मंच निर्माण के लिए ही क्यों चुना गया जबकि वहीं एक और मंच पहले से स्थित है। जहां विविध आयोजन बिना कोई दिक्कत के संपन्न हो जाते हैं।

केवल ठूंठ बाकी रह गया पेड़ में
मामले में तहसीलदार ने जांच करवाया है और नायाब तहसीलदार व छुरिया तहसीलदार के प्रतिवेदन में पाया कि उक्त पेड़ काफ ी पुराना हो गया था, जिसे कांट-छांट किया गया है और उसे जड़ से नहीं काटा गया और इस मामले में कोई दोषी नहीं है। मौके पर देखने से स्पष्ट हो रहा है कि बगैर किसी फ ायदे के इस बरगद के पेड़ की बली चढ़ा दी गई हैं और बड़े वृक्ष की जगह केवल ठूंठ बाकी है। इधर तहसीलदार का कहना है यह फि र से पल्लवित हो ही जायेगा। माना जाता है कि बरगद का विकसित पेड़ हजारों पेड़ों के बराबर होता है, जिसे प्रशासन की अनदेखी के चलते एक झटके में काट दिया गया और इसके बाद भी आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

क्या कहते हैं अधिकारीगण
तहसीलदार डोंगरगांव, प्रियंका देवांगन ने कहा कि मटिया वार्ड में पेड़ के कटने खबर मिली थी जिसकी जांच नायब तहसीलदार और छुरिया तहसीलदार से कराई गई है. उक्त मामले में कोई दोषी नहीं है, उसे कांट-छांट किया गया है, वह फि र से पल्लवित हो जायेगा

रेंजर खुज्जी वृत्त जेएल सिन्हा का कहना है कि वन विभाग व राजस्व विभाग के संयुक्त निरीक्षण के पश्चात ही तहसीलदार के निर्णय के बाद जनहित को देखते हुए ही बरगद या किसी बड़े पेड़ को काटा जा सकता है वरन् बिलकुल नहीं।