
माल गोदाम की शिफ्टिंग से पहले सड़क नहीं बनाई गई तो मुसीबत झेलेंगे ग्रामीण
राजनांदगांव। CG News: रेलवे की ओर से राजनांदगांव रेलवे स्टेशन का विस्तार करने की प्लानिंग है। प्लेटफार्म में बदलाव होना है। इसके लिए रेलवे की ओर से मालगोदाम को पार्रीकला गांव के समीप शिफ्ट करने की प्लानिंग है। इसके लिए रेलवे ने करोड़ों रुपए खर्च कर पार्री के समीप रेल लाइन किनारे मालगोदाम बना लिया है। इसकी अब शिफ्टिंग की तैयारी है पर अब आवाजाही के लिए मजबूत सड़क का होना भी जरूरी है।
आवाजाही के लिए पार्री पहुंच मार्ग का इस्तेमाल किया जाना है पर ग्रामीण इसका विरोध कर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गोदाम शिफ्ट करने से पहले चौड़ी सड़क का निर्माण किया जाए ताकि ट्रैफिक दबाव की समस्या दूर हो सके। इस मार्ग पर पार्रीकला ही नहीं बल्कि आसपास के अचानकपुर, भाठागांव और परमाकसा के ग्रामीण भी आवाजाही करते हैं। यानी की इस मार्ग पर चार से पांच हजार आबादी की आवाजाही होती है।
शासन स्तर से मिलेगी स्वीकृति
गौरतलब है कि रेलवे के अफसरों ने कलक्टर से मुलाकात कर सड़क निर्माण के लिए स्वीकृति दिलाने की मांग रखी है पर आचार संहिता के चलते प्रक्रिया अटकी हुई है। कलक्टर डोमन सिंह ने बताया है कि रेलवे के अफसरों ने मुलाकात कर पार्रीकला पहुंच मार्ग को लेकर बात रखी है। सड़क निर्माण के लिए राज्य सरकार की स्वीकृति जरूरी है। शासन स्तर पर इस सड़क को लेकर निर्माण होना है।
फोरलेन वाली समस्या दूर नहीं हुई
पार्रीकला के ग्रामीणों ने फोरलेन पर चौक बनाने और ग्रामीणोें की आवाजाही के लिए सर्विस रोड देने की मांग रखी थी। इसे लेकर चक्काजाम भी किया गया था पर हर बार आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हो पाया। ग्रामीणों को रिस्क उठाकर यहां से आवाजाही करनी पड़ती है। गांव वालों ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान सर्विस रोड का मुद्दा उठा था पर परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा कि जनप्रतिनिधि इसे लेकर कितना गंभीर हैं।
पत्र सौंपकर समस्या से अवगत करा चुके
सड़क बनाए बिना ही अगर गोदाम की ओर वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाती है तो फिर हादसे का खतरा बना रहेगा। ग्रामीणों ने हाल ही में कलक्टर को पत्र सौंपकर समस्या से अवगत कराया है। पार्री के ग्रामीण पहले से ही फोरलेन पर आवाजाही के लिए रास्ता नहीं दिए जाने से परेशान चल रहे हैं तो वहीं अब नई मुसीबत आ खड़ी हुई है।
पहले से ही परेशानी से जूझ रहे हैं ग्रामीण
गांव के पप्पू चंद्राकर और सतीश आम्बिलकर ने बताया कि पहले फोरलेन निर्माण कंपनी ने गांव वालों को धोखे में रखा और अब रेलवे की ओर से मुसीबत में डालने की तैयारी कर ली गई है जबकि रेलवे को सड़क निर्माण के लिए प्रशासन से मुलाकात कर काम शुरू कराना था। यहां रेलवे ने पहले गोदाम निर्माण पर ध्यान दिया और अब गांव वाले विरोध करने लगे हैं तब सड़क की बात कर रहे हैं।
Published on:
16 Nov 2023 01:35 pm
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