राजसमंद झील से निकलने वाली नहरें कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। मरम्मत के अभाव में कई जगह जीर्ण-शीर्ण होने के कारण पानी खेतों में तो कहीं पर खाली प्लॉट में भर गया है। जानकारों की मानें तो झील से जितना पानी निकला है उसका 60-70 प्रतिशत पानी की फसलों के काम में आया है, शेष पानी व्यर्थ ही बह गया। ऐसे में नहरों की मरम्मत करवाया जाना आवश्यक हो गया है।
फसल बुवाई क्षेत्र अब तक कटाई
गेहूं 31500 20 हजार
जौ 9830 06 हजार
चना 6071 06 हजार
सरसों 2200 2200
25 दिन से पानी की निकासी जारी
राजसमंद झील से 42 गांवों की 10,500 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। 9 नवम्बर को जल वितरण समिति की बैठक में झील खोलने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद से नियमित अंतराल में नहरों को खोला गया। रबी की फसल की सिंचाई के लिए तीसरी बार 3 अप्रेल को दायीं नहर को खोला गया था। इसके बाद से नियमित रूप से झील से पानी की निकासी जारी है।
झील में दिखाई देने लगा पिलर
राजसमंद झील का जलस्तर लगातार घट रहा है। झील से निकलने वाली नहरों का खोला गया था, तब झील का जलस्तर 29.80 फीट के करीब था। इसके बाद से लगातार दायीं और बायीं नहर से पानी की निकासी जारी है। सिंचाई विभाग के जानकारों के अनुसार एक बार नहर खोलने पर बायीं नहर से 28 दिन और दायीं नहर से 32 दिन पानी दिया जाता है। वर्तमान में झील का जलस्तर 18 फीट करीब पहुंच गया है। उल्लेखनीय है कि जल वितरण समिति की बैठक में झील में पेयजल के लिए 16.50 फीट पानी रखने की सहमति बनी थी।