
भीम कस्बा पानी को तरस रहा है
भीम. इस इलाके के लिए भले ही भविष्य में चम्बल परियोजना पेयजल संकट का स्थायी समाधान कर देगी, मगर मौजूदा समय में भीम कस्बा पानी को तरस रहा है। वैकल्पिक इंतजाम भी पूरे नहीं होने से लोगों के हलक सूख रहे हैं।
आमतौर पर गर्मियों में उठने वाले पेयजल संकट की चिंता उपखंड क्षेत्रवासियों को इन सर्दियों में ही सताने लगी है। शीतकाल में ही 5 दिनों में एक बार एक घंटा जलापूर्ति हो रही है। इस बार भी क्षेत्र में वर्षा कम होने से आसपास के जलाशय खाली पड़े हैं, जिससे जलस्रोतों में पानी की आवक बहुत कम है। 19 फीट भराव क्षमता वाले भीम तालाब का इन दिनों पैंदा पूरी तरह उघड़ा हुआ नजर आ रहा है, जहां मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। 2 वर्ष पूर्व भीम का तालाब छलका था। तालाब खाली होने से दो कुएं एवं एक ट्यूबवेल तथा तालाब किनारे दो कुओं में ही पानी बचा है। इन स्रोतों से धोनी, सम्बुरिया में पेयजल सप्लाई होती है। दो-तीन घंटे दिन में तथा दो-तीन घंटे रात में मोटर चलाकर टंकियों में पानी भरा जाता है, तब जाकर संग्रहित पानी से 5 दिनों में एक बार केवल एक घंटे भीम कस्बे में घर-घर जलापूर्ति हो पाती है।
पीने के पानी की समस्या को लेकर पूर्व में स्वीकृत भोमादोह जल परियोजना भी अब जवाब दे रही है। 47 फीट भराव क्षमता वाले भोमादोह बांध में वर्तमान में 40 फीट जल भरा हुआ है। गर्मियों में इसका जलस्तर और भी गिरने की संभावना बनी हुई है। भोमादेह परियोजना से टोगी, कलालिया पोखरिया कोट, भीम-पाटिया, धर्मेशपुरी में टंकियां भरी जाती हैं, जिनसे 5 दिन के अंतराल में जलापूर्ति होती है। इस बार बरसात कम होने से भीम तालाब ही नहीं, आसपास के कई जलाशय भी खाली पड़े हैं।
टैंकरों से आपूर्ति की तैयारी
गर्मियों में जल समस्या के समाधान को लेकर टैंकर से जलापूर्ति के टेंडर प्रक्रियाधीन हैं।
धन्नालाल, सहायक अभियंता, जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग
Published on:
12 Dec 2022 08:51 pm
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