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राजसमंद। जिले के नेगड़िया गांव में शुक्रवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया, जब रेस्क्यू अभियान के दौरान एक घायल लेपर्ड अचानक वन विभाग की टीम पर टूट पड़ा। इस हमले में चार वनकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। साथी कर्मचारियों ने जान जोखिम में डालकर घायलों को खेतों से कंधों पर उठाकर गाड़ियों तक पहुंचाया। हमले के करीब आधे घंटे बाद लेपर्ड की भी मौत हो गई।
दरअसल, गुरुवार की देर शाम गोमती-उदयपुर हाईवे पर एक घायल लेपर्ड दिखाई देने की सूचना वन विभाग को मिली थी। रात करीब 8:30 बजे टीम मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू शुरू किया, लेकिन अंधेरा ज्यादा होने के कारण ट्रेंकुलाइज नहीं किया जा सका। इस बीच लेपर्ड हाईवे से लगभग 100 मीटर दूर खेतों की ओर चला गया। रात 10 बजे तक प्रयास जारी रहे, मगर टीम को सफलता नहीं मिली और वे गांव में ही रुक गए।
शुक्रवार सुबह लगभग 8:30 बजे रेस्क्यू दोबारा शुरू किया गया। घायल होने की वजह से टीम ने लेपर्ड को जाल की मदद से पकड़ने की योजना बनाई। इसी दौरान वनकर्मी पन्नालाल (48), हरीश लोहार (48), घनश्याम पूर्बिया (32) और गिरधारी लाल (35) पकड़ने के लिए झाड़ियों की ओर बढ़े। टीम के अनुसार, लेपर्ड पहले भी दो बार हमला करने की कोशिश कर चुका था। तीसरी बार जब टीम जाल लेकर करीब पहुंची, तो वह अचानक पीछे से निकलकर चारों पर टूट पड़ा और उन्हें घायल कर दिया।
हमले के बाद अन्य वनकर्मी तुरंत उनकी मदद के लिए पहुंचे और चारों को एक-एक कर कंधे पर उठाकर गाड़ियों तक लाए। सभी को आनन-फानन में अनंता मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया गया। पन्नालाल, घनश्याम और हरीश के हाथ-पैर पर गहरे घाव आए थे, हालांकि प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। गिरधारी के पैर में गंभीर चोट आने के कारण उनका उपचार अभी जारी है।
घटना के करीब आधे घंटे बाद जब टीम फिर से खेत पहुंची, तो लेपर्ड मृत पाया गया। रेंजर लादूलाल शर्मा के अनुसार, मृत लेपर्ड की उम्र लगभग सात वर्ष थी। वन्यजीव को पोस्टमॉर्टम के लिए नाथद्वारा स्थित लिलेरा नर्सरी भेजा गया है, जिससे मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। प्राथमिक आशंका है कि लेपर्ड पहले किसी बड़े वाहन की चपेट में आया होगा और घायल होने के कारण ही उसका व्यवहार आक्रामक हो गया था।
Published on:
12 Dec 2025 04:58 pm
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