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Dwarkadhish Temple Trust Controversy ‘अंतिम निर्णय आने तक बृजेश कुमार ही ट्रस्ट अध्यक्ष और पीठाधीश’

द्वारकाधीश मंदिर ट्रस्ट विवाद पर गोस्वामी बृजेश कुमार के पक्ष ने स्पष्ट की स्थिति, अदालतों में विचाराधीन मामलों में अंतिम निर्णय को बताया व्यवस्था

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Dwarkadhish Temple Trust Controversy 'अंतिम निर्णय आने तक बृजेश कुमार ही ट्रस्ट अध्यक्ष और पीठाधीश'

Dwarkadhish Temple Trust Controversy 'अंतिम निर्णय आने तक बृजेश कुमार ही ट्रस्ट अध्यक्ष और पीठाधीश'

राजसमंद. श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारिकाधीश मंदिर में पीठाधीश्वर परिवार में चल रहे विवाद के बीच रविवार को ट्रस्ट अध्यक्ष गोस्वामी बृजेश कुमार के खेमे ने विवाद को दुखद बताते हुए विधिक और प्रशासनिक स्थितियों पर अपना पक्ष रखा। पक्ष से जुड़े लोगों ने कहा कि वैधानिक तौर पर गोस्वामी बृजेश कुमार ही ट्रस्ट अध्यक्ष एवं पीठाधीश हैं, जब तक कि किसी भी सक्षम न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता।
मंदिर के विधिक सलाहकार नीरज तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देवस्थान विभाग में सहायक आयुक्त के यहां जो प्रार्थना-पत्र पेश किया है, उसी से स्पष्ट है कि गोस्वामी बृजेश कुमार के पास ट्रस्ट का सदस्य नियुक्त करने का अधिकार है।अंतिम निर्णय आने तक ट्रस्ट अध्यक्ष एवं पीठाधीश के नाते उनके निर्देशों या आज्ञा से की जा रही नियुक्तियां या व्यवस्थाएं वैध हैं। मंदिर में सेवाकार्य तथा व्यवस्थाओं के संचालन से जुड़ी हुई तमाम गतिविधियां ट्रस्ट अध्यक्ष की ओर से नियुक्त कर्मचारियों द्वारा ही संचाालित की जा रही हैं और कब्जा भी इन्हीं का है। रही बात देवस्थान विभाग द्वारा ट्रस्टी बनाने के फैसले की, तो उसकी अपील की जा चुकी है, जिससे स्वत: यथास्थिति बनती है। सवालों के जवाब में नीरज तिवारी, ट्रस्टी मुकेश भाई व सलाहकार जयेश भाई ने बताया कि मंदिर की सम्पत्तियों का कोई व्यक्ति मालिक नहीं है। पीठाधीश परिवार के हर सदस्य के पास अध्यक्ष व गर्भगृह में मुखिया की अनुमति से प्रवेश से सेवा का अधिकार है। स्कीम ऑफ ट्रस्ट को अवैध घोषित करने की मांग पर कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है। कब्जा आज भी गोस्वामी बृजेश कुमार के अधीन ट्रस्ट के पास है। उन्होंने दावा किया कि अब तक तमाम अदालतों से फैसले बृजेश कुमार के पक्ष में रहे हैं। विधिक सलाहकार तिवारी ने कहा कि बतौर उपाध्यक्ष गोस्वामी पराग कुमार द्वारा लेटरहेड पर आदेश जारी करना अनुचित है। बोर्ड बना तब से उपाध्यक्ष का पद ही सृजित नहीं है। अध्यक्ष द्वारा गठित बोर्ड ने विनित सनाढ्य को कार्यकारी अधिकारी बनाया है। ये मंदिर अधिकारी भगवतीलाल पालीवाल के मार्गदर्शन में काम करेंगे।

वर्ष 2015 के बाद दोनों भाइयों का कार्यकाल नहीं बढ़ाने पर सवाल
ट्रस्ट में शुरुआती वर्ष 1980 से वर्ष 2015 तक दोनों छोटे भाई बतौर ट्रस्टी शामिल थे। 2015 के बाद उनका कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाकर पुत्र वागीश बावा व पत्नी को सदस्य बनाने के सवाल पर कहा गया कि यह ट्रस्ट अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करता है। यह उनका अधिकार भी है कि वह किसे सदस्य बनाएं। इस मौके पर सहायक अधिकारी गणेशलाल सांचीहर, मुख्य समाधानी राजकुमार गौरवा, माइनिंग एडवाइजर, भगवतीलाल अजमेरा, कार्यकारी अधिकारी विनीत सनाढ्य, गोसेवा समाधानी मनोहर व्यास आदि ने भी मौजूद थे। इधर, दूसरे पक्ष के गोस्वामी पराग कुमार व गोस्वामी नेमिष कुमार से सम्पर्क करने पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

बड़े भाई ने की सुलह की सारी कोशिशें
ट्रस्टी डॉ. जयेश शाह ने बताया कि पीठाधीश बृजेश कुमार ने दुखी मन से गत अगस्त, 2021 में दोनों छोटे भाइयों पराग कुमार व शिशिर कुमार तथा उनके पुत्रों व खुद के पुत्र सहित पूरे परिवार को 17 पेजों का एक पत्र लिखा, जिसमें सभी विवादों पर विचार, मतभेद भुलाने, मिल-बैठकर सभी शर्तों पर बातचीत, उनमें संशोधन के लिए आमंत्रित किया, लेकिन अफसोसजनक है कि दूसरा पक्ष राजी नहीं है।

ट्रस्ट स्कीम को अवैध घोषित करने का मामला तीन अदालतों में
बताया गया कि ट्रस्ट विवाद का प्रकरण हाईकोर्ट, देवस्थान विभाग और जिला न्यायालय में विचाराधीन हैं, जहां से अंतिम निर्णय होना बाकी है। तिवारी ने कहा कि वर्ष 1980 के पत्र के आधार पर ही गोस्वामी परिवार के बड़े पुत्र बृजेश कुमार को मुख्य ट्रस्टी माना गया, जिस पर सभी भाइयों के दस्तखत हैं।