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चूना लगाने में माहिर ग्राम सेवा सहकारी समिति कुरज के व्यवस्थापक!

ऋण लेकर सहकारी समिति को 25 लाख का चूना, कलक्टर ने नरेगा में बनाने के दिए थे आदेश, फिर भी आईसीडीपी से ले लिया ऋण

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मुझे नहीं ध्यान, पता करेंगे  &कुरज बीज भवन छोटा बनने के बारे में मुझे नहीं पता। अगर ऐसा है, तो पता कर उचित कार्रवाई की जाएगी। नियमानुसार ही समिति को लोन दिया है।  सुनीता सोनी, महाप्रबंधक समग्र सहकारी विकास परियोजना राजसमंद

चूना लगाने में माहिर ग्राम सेवा सहकारी समिति कुरज के व्यवस्थापक!

राजसमंद. एक तरफ सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार नित नए प्रयास कर रही है, तो दूसरी तरफ कुछ लोग स्वार्थ के चक्कर में सहकारिता को पलीता लगाने पर तुले हैं। कुछ ऐसी ही अनियमितता ग्राम सेवा सहकारी समिति कुरज में सामने आई, जहां ग्राम पंचायत द्वारा नरेगा के तहत बीज भंडार का भवन बनाकर समिति को मुफ्त में दिया जाना था। वहां जिला कलक्टर के आदेश को दरकिनार कर समिति कर्णधारों ने भवन बनाने के लिए 25 लाख का ऋण ले लिया। इससे न सिर्फ सहकारी समिति को पच्चीस लाख का चूना लगा, बल्कि अब समिति की आय भी इतनी नहीं कि वह नियमित ऋण की किश्त चुका पाएगी।
जानकारी के अनुसार ग्राम सेवा सहकारी समिति कुरज के लिए बीज गोदाम भवन के लिए ग्राम पंचायत कुरज के आवेदन पर कलक्टर अर्चनासिंह द्वारा 18 बिस्वा जमीन आवंटित की। नरेगा कन्वर्जेंस के तहत ग्राम पंचायत द्वारा अनाज-बीज भंडार भवन निर्माण के लिए जिला कलक्टर ने स्वीकृति दी, जिसके तहत पंचायत को भवन बनाकर सहकारी समिति को नि:शुल्क दिया जाना था। फिर भी सहकारी समिति ने ग्राम पंचायत को भवन नहीं बनाने दिया और उसी जमीन पर भवन बनाने के लिए ग्राम पंचायत से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) ले लिया। इस पर समग्र सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी) द्वारा कुरज में 500 एमटी बीज गोदाम भवन बनाने के लिए 25 लाख की स्वीकृति दी। इसके बावजूद समिति द्वारा कानून कायदे दरकिनार कर 500 एमटी की बजाय सिर्फ ढाई सौ एमटी का भवन ही बनाया जा रहा है, जिससे सहकारी समिति व्यवस्थापक से लेकर आईसीडीपी महाप्रबंधक की घपलेबाजी सामने आ गई। इससे सहकारी समिति को लाखों रुपए की चपत लगी है।

तो डूब जाएगी सहकारी समिति
आईसीडीपी द्वारा करीब 25 लाख का ऋण स्वीकृत किया, जिसमें 30 फीसदी हिस्सा राशि समिति की है और 20 फीसदी सरकार का अनुदान देय है। इस तरह 12 फीसदी ब्याज दर के आधार पर वार्षिक ब्याज करीब 1.53 लाख रुपए है और वार्षिक किश्त राशि 3 लाख है। इस तरह प्रतिवर्ष 4.53 लाख रुपए ऋण चुकाने के लिए जरूरत है, जबकि सहकारी समिति कुरज का वार्षिक शुद्ध लाभ ही करीब डेढ़ लाख ही है। अगर ऋण नहीं चुका पाए, तो समिति डूब जाएगी। इससे सवाल उठ रहा है कि जब समिति की इतनी आय ही नहीं है तो आईसीडीपी द्वारा समिति को ऋण किस आधार दे दिया।
&कलक्टर से जमीन कब मिली और नरेगा से कार्य कराने संबंधी जानकारी नहीं मिली। तब तक आईसीडीपी से ऋण स्वीकृत हो गया। भवन 500 एमटी का है या नहीं। मगर नक्शे अनुसार ही बनाया जा रहा है। समिति वार्षिक शुद्ध लाभ करीब डेढ़ लाख है, मगर एक करोड़ की एफडी के ब्याज से लोन की किश्ते चुकाने के प्रयास किए जाएंगे। भवन निर्माण अंतिम चरण में है।
मोहनलाल कुमावत, व्यवस्थापक ग्राम सेवा सहकारी समिति कुरज
व्यवस्थापक ने किया गुमराह
&नरेगा के तहत गोदाम बनाने के लिए कलक्टर द्वारा जमीन आवंटित की गई। समिति द्वारा मुझे गुमराह किया गया कि समिति के पास सरकार से बजट आया है, जिससे बना रहे हैं। अब पता चला कि लोन लेकर भवन बना रहे हैं, जबकि ग्राम पंचायत द्वारा बनाकर मुफ्त में दिया जाता।
अनिल चौधरी, सरपंच कुरज

मुझे नहीं ध्यान , पता करेंगे
&कुरज बीज भवन छोटा बनने के बारे में मुझे नहीं पता। अगर ऐसा है, तो पता कर उचित कार्रवाई की जाएगी। नियमानुसार ही समिति को लोन दिया है।
सुनीता सोनी, महाप्रबंधक समग्र सहकारी विकास परियोजना राजसमंद