10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

shocked: सरकार डकार गई शिक्षा सहायक भर्ती का आवेदन शुल्क, अभ्यर्थियों की जेब से भरा सरकारी खजाना, भर्ती निरस्त होने के बाद भी नहीं मिला शुल्क

-चार साल बेमिसाल- भर्ती जिला स्तर पर होने से कई अभ्यर्थियों द्वारा 33 ही जिलों में आवेदन किया गया।

3 min read
Google source verification
rajsamnd news

आईडाणा. बेरोजगारों से लोक लुभावन वादे करने के बाद सरकारें भर्ती की विज्ञप्ति जारी करते हुए बेरोजगारों की खून-पसीने की कमाई से अपना खजाना तो भर लेती है, लेकिन भर्ती निरस्त करने के बावजूद शुल्क लौटाना उचित नहीं समझती। ऐसे में हैरान-परेशान अभ्यर्थी सिवाय हाथ मसलने के कुछ नहीं कर पाते।
ऐसा ही कुछ शिक्षा सहायक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ भी हुआ। शिक्षा सहायक भर्ती परीक्षा 2013 निरस्त होने के बाद भी आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों का शुल्क सरकार ने अब तक वापस नहीं लौटाया है। भर्ती निरस्त करने के बाद सरकार ने विद्यालय सहायक भर्ती में शुल्क का पुन: भरण किया। लेकिन, कई ऐसे अभ्यर्थी, जिन्हें या तो विद्यालय भर्ती के लिए पात्र नहीं माना गया या अन्य भर्ती परीक्षा में चयनित होने के बाद विद्यालय सहायक भर्ती के लिए आवेदन नहीं किया। साथ ही कई ऐसे भी अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने शिक्षा सहायक भर्ती में एक से अधिक जिलों में आवेदन किया, परन्तु विद्यालय सहायक भर्ती के लिए वापस उतने जिलों में आवेदन नहीं किया। राज्य में ऐसे हजारों अभ्यर्थी हैं, जिन्हें अपने शुल्क की वापसी का इंतजार है।

साढ़े चार वर्ष पूर्व किए थे आवेदन
सरकार ने शिक्षा सहायक के 336 8 9 पदों पर सीधी भर्ती के लिए 30 मई 2013 को विज्ञप्ति जारी कर जिला केडर के अनुसार आवेदन पत्र भरवाए थे। शिक्षा सहायक भर्ती की आवेदन प्रक्रिया में 275 रुपए सामान्य वर्ग, 175 अन्य पिछड़ा, एससी-एसटी वर्ग तथा अन्य के लिए 75 रुपए परीक्षा शुल्क था। वहीं, अभ्यर्थी द्वारा 10 रुपए ऑनलाइन फीस जमा कराने तथा 30 रुपए आवेदन पत्र ऑनलाइन करने हेतु सेवा प्रदाता को सेवा शुल्क के रूप में दिए थे। भर्ती जिला स्तर पर होने से कई अभ्यर्थियों द्वारा 33 ही जिलों में आवेदन किया गया। सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा 33 जिलों में आवेदन करने पर 10329 रुपए का भुगतान किया गया। वहीं, अन्य पिछड़ा, एससी, एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा 33 जिलों में आवेदन करने पर 7095 रुपए का भुगतान किया गया।
विद्यालय सहायक भर्ती में नही किया आवेदन
प्रमुख शासन सचिव पवन कुमार गोयल ने मार्च 2015 में प्रारम्भिक शिक्षा विभाग को शिक्षा सहायक भर्ती 2013 के नियम में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपरिहार्य कारणों से शिक्षा सहायक भर्ती 2013 को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर आवंटित पदों को प्रत्याहारित करने का आदेश जारी कर दिया था। इसकी पालना में प्रारम्भिक शिक्षा विभाग बीकानेर ने 6 अप्रैल 2015 को आदेश जारी कर उपनिदेशक एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को भर्ती को निरस्त करने की सूचना दी थी। राज्य सरकार ने इसके स्थान पर प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में 33493 विद्यालय सहायक के पदों पर सीधी भर्ती के लिए 8 अगस्त को विज्ञप्ति जारी कर जिला केडर के अनुसार निर्धारित ऑनलाइन आवेदन पत्र मांगे। इस भर्ती में शिक्षा सहायक भर्ती के आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से शुल्क नहीं लिया गया। लेकिन, भर्ती में अनुभव की शर्त के कारण वे अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पाए, जिन्होंने बिना अनुभव के भी शिक्षा सहायक भर्ती के लिए आवेदन किया था। वहीं, अन्य भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों ने भी आवेदन नहीं किया। लेकिन इसके बावजूद ऐसे सैकड़ोंंं अभ्यर्थियों को विभाग की ओर से अभी तक शुल्क नहीं लौटाया गया।

केस 1.
आमेट निवासी रघुवीर सिंह चुण्डावत ने शिक्षा सहायक भर्ती के लिए 4 जिलों में सामान्य वर्ग से आवेदन किया था। इनका ातृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर चयन होने के बाद विद्यालय सहायक भर्ती के लिए आवेदन नहीं किया। लेकिन, अभी तक शिक्षा सहायक भर्ती आवेदन के साथ जमा कराया गया शुल्क इन्हें अब तक वापस नहीं मिला है।
केस 2.
आमेट निवासी कोमल राठौड़ व भाग्यश्री अजमेरा ने शिक्षा सहायक भर्ती के लिए आवेदन किया था। विद्यालय सहायक भर्ती में अनुभव की बाध्यता से आवेदन नहीं किया पर सकरार ने परीक्षा शुल्क नहीं लौटाया।
केस 3.
आमेट निवासी दयावती शर्मा ने शिक्षा सहायक भर्ती में 12 जिलों में आवेदन किया। शर्तों एवं निजी विद्यालय का अनुभव होने के कारण विद्यालय सहायक भर्ती में आवेदन नहीं कर पाए। इन्हें भी शिक्षा सहायक भर्ती निरस्त होने के बावजूद शुल्क वापस नहीं मिला।
करोड़ों का राजस्व
जिला केडर होने से शिक्षा सहायक भर्ती में अभ्यर्थियों ने एक से अधिक जिलों में आवेदन किया था। उसमें करीब 15 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, जिससे सरकारी खजाने में करोड़ों रुपए जमा हुए। करीब साढ़े चार साल से ये पैसा सरकारी खजाने में पड़ा है। इस अवधि में सरकार ने करोड़ों का ब्याज कमा लिया, लेकिन अब तक अभ्यर्थियों को उनके रुपए लौटाए नहीं गए।