
rajsamnad
राजसमंद।खेतों में खड़ी किसानों की मेहनत
को पकने के लिए अब एक और अच्छी बारिश का इंतजार है। मानसून रूठ बैठा है और अगर एक
सप्ताह में बारिश नहीं आई, तो 20 फीसदी तक खराबा हो सकता है। हालांकि सिंचाई के
वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल करने का जुगाड़ भी किसान कर रहे हैं।
एक
पखवाड़े से अधिक समय से बारिश नहीं होने से धरतीपुत्रों की ललाट पर चिंता की लकीरें
उभरी हुईहैं। मुनाफा तो दूर, लागत निकल जाए तो उनके लिए राहत की बात होगी। शुरूआत
में मानसून की अच्छी रफ्तार को देखकर किसानों ने इस बार बम्पर उत्पादन का अनुमान
लगाया था, लेकिन अब स्थिति बदलती जा रही है। जिन किसानों के पास वैकल्पिक व्यवस्था
है, वे फसलों को जिन्दा रखे हुए हैं। जिनके पास कोईउपाय नहीं है, उनके सामने फसल को
बचाने के लिए वर्षा ही एकमात्र आसरा है।
खराबा हो चुका
शुरू
वर्षा का दौर थमने और कड़क धूप निकलने से फसलें सूखने लगी हंै।
वर्षा नहीं होने से मक्का पर सर्वाधिक विपरीत असर पड़ रहा है। पौधों के पत्ते पीले
पड़ने लगे हैं। मक्का के भुट्टे बनना व दाना पड़ने का क्रम शुरू हो गया है। ऎसे में
बारिश की सख्त दरकार है। पानी के अभाव दाना छोटा पड़ सकता है। इसका सीधा प्रभाव
उत्पादन पर पडेगा।
फड़के ने दी राहत
इस बार फड़के के नहीं
फड़फड़ाने से किसानों को बड़ी राहत मिली थी। नुकसान नहीं होने से किसान खुश थे,
लेकिन यह खुशी अधिक समय बरकरार नहीं रह सकी, जब मानसून ने मुंह फेर लिया। इधर,
नाथद्वारा तहसील क्षेत्र में जलाशय से फसलों क लिए पानी छोड़ने की मांग भी उठने लगी
है।
बरसी राहत की फुहारें
राजसमंद/सेमा. सेमा व आस-पास के
क्षेत्र मे शुक्रवार को दिनभर तेज गर्मी की तपन के बाद शाम को राहत बूंदे गिरी। इधर
जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों में गर्मी का असर बरकरार रहा। सेमा क्षेत्र में
शाम करीब छह बजे बूंदा बांदी शुरू हुई जो करीब अधा घंटे तक रूक रूक जारी रही। इससे
किसानों ने राहत की सांस ली है।
वहीं फसलों को भी जीवन दान मिला है।
जिजा मुख्याल क्षेत्र में सुबह से ही गर्मी रही। दिन में अनेक बार बादल छाएं लेकिन
बरसे नहीं। मौसम कार्यालय के अनुसार बीती रात गुरूवार का तापमान 23.7 डिग्री
सेल्सियस रहा। इसी प्रकार शुक्रवार दिन का अधितक तापमान 34 डिग्री सेल्सियस रहा।
सापेक्ष आद्रüता अधिकतम 54 व न्यूनतम 38 प्रतिशत रही।
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