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Smart Education: इस शहर में शिक्षकों ने खुद के खर्चे से बनाए डिजिटल क्लास रूम, तकनीकी से जुड़े बच्चे

अब ​शिक्षा में हाइटेक टेक्नोलोजी का इश्तेमाल होने लगा है। इसी क्रम में स्कूलों को भी डिजिटल करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

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Digital Class Room

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मधुसूदन शर्मा
राजसमंद.
अब हमारे सरकारी स्कूल भी निजी से कम नहीं है। यहां के स्कूल भी स्मार्ट है साथ ही बच्चे भी स्मार्ट हैं। सरकारी स्कूलों में तकनीकी समावेश के साथ जिले के स्कूल भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक सरकारी स्कूल है राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गचालों का गुडा। जहां प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चे हाइटेक अध्ययन कर रहे हैं। इस स्कूल में सबसे खास बात ये है कि यहां कार्यरत शिक्षकों ने खुद के खर्चे के दो क्लासरूम डिजिटल के रूप में विकसित किए हैं। जिसके माध्यम से बच्चे अध्ययन करते हैं। इन क्लासों में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ देश-दुनिया की जानकारी तक दी जाती है। इसमें भी खास बात ये है कि अगर किसी विषय वस्तु पर बच्चों से चर्चा करें तो स्कूल में लगे कंप्यूटर पर खुद सर्च कर जानकारी पढ़ लेते हैं। शिक्षकों की मानें तो ये गांव ऐसा है जहां पर एक भी व्यक्ति सरकारी सेवा में नहीं है। जानकारी के अनुसार गचालों का गुड़ामें स्थित ये स्कूल 1965 में प्राथमिक बना था। इसके बाद इस विद्यालय को 2008 में क्रमोन्नत कर उच्च प्राथमिक विद्यालय बना दिया गया। इस विद्यालय में वर्तमान में 115 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जिनमें सर्वाधिक छात्राएं 60 और 55 छात्र हैं।

कक्षा एक,दो के बच्चों की भी डिजिटल पढ़ाई

यही नहीं एक डिजिटल क्लासरूम प्राथमिक कक्षा व दूसरा डिजिटल क्लासरूम उप्रावि के बच्चों के लिए हैं। प्राथमिक के बच्चों को भी स्क्रीन के माध्यम से प्रारंभिक जानकारियां दी जाती है। जिससे बच्चे बेहद ही रुचि लेकर पढ़ रहे हैं। दरअसल इन कम्प्यूटरों में कक्षा के हिसाब से पाठ्यक्रम अपलोड़ किए हुए हैं। जिससे चित्र के माध्यम से बच्चे जल्द ही जानकारी पकड़ लेते हैं।

स्कूल सुसज्जित, बच्चों का भी ड्रेस कोड

गचालों का गुडा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पूरी तरह से सुसज्जित है। स्टाफ के आपसी सहयोग से इसको तैयार किया गया है। सभी कार्य व्यविस्थत है। यही नहीं स्कूल की मॉनिटङ्क्षरग के लिए यहां सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। जिससे गतिविधियां नजर आती रहती है। इस स्कूल के बच्चे ड्रेस कोड में टाई-बेल्ट लगाकर आते हैं।

क्लास पीरियड के लिए ऑटोमेटिक बैल

इस विद्यालय में पीरियड बदलने के लिए किसी की ओर से घंटा बजाने की जरूरत नहीं है। यहां पर ऑटोमेटिक बेल लगी है जो समय-समय पर सबको अलर्ट करती रहती है। बिजली से संचालित ये बैल ऑटोमेटिक है। जिसमें पीरियड के अलावा पोषाहार खाने का समय, स्कूल हॉफ टाईम, कक्षा लगने सहित तमाम जानकारी देती है। ये बैल इसलिए यहां लगाई गई क्योंकि विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं है। ऐसे में ये ऑटोमेटिक घंटी से स्टाफ अलर्ट हो जाता है।

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बच्चे हॉट स्पॉट से जोड़ते कम्प्यूटर

यहां विशेष बात ये है कि यदि कभी कोई शिक्षक किसी कारणवश नहीं आ पाते हैं तो बच्चे स्वयं ही मोबाइल से कम्प्यूटर को जोड़ लेते हैं। इसके बाद मोबाइल से जिस विषय को पढऩा होता है। उसको सर्च कर लेते हैं। इसके बाद वे क्लास में बैठकर अध्ययन कर लेते हैं।

कक्षावार नामांकन की स्थिति

कक्षानामांकन
01 06
02
15
03
08
04
19
05
11
06
19
07 15

08
22

इनका कहना है
इस विद्यालय को स्टाफ के सहयोग से ही विकसित किया गया है। दो डिजिटल क्लासरूम भी स्टाफ के सहयोग से ही तैयार किए गए हैं। इसमें सरकारी स्तर पर किसी का सहयोग नहीं है। बच्चे अब इतने समझदार हो गए हैं कि यदि कोई टीचर नहीं भी आता है तो वे खुद मोबाइल से कम्प्यूटर को जोडक़र अपने विषय से संबंधित पाठ निकाल लेते हैं और पढ़ते हैं। इस स्कूल को और हाइटेक बनाने की दिशा में भी काम किया जाएगा ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
दिनेशचन्द्र पालीवाल, कार्यवाहक प्रधानाध्यापक, राउप्रावि गचालो का गुड़ा, राजसमंद